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Wednesday, 10 July 2013

राष्ट्रपति प्रणाली की तर्ज’ पर लोकसभा चुनाव

भारतीय जनता पार्टी ने देश की संसदीय लोकतंत्र की प्रणाली को एक नया रूप देते हुए कहा है कि अगला लोकसभा चुनाव मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा और सत्तारूढ़ कांग्रेस के दो उभरते हुए नेताओं के बीच राष्ट्रपति चुनाव की तर्ज पर लड़ा जाएगा। भाजपा के वरिष्ठ नेता अरूण जेटली ने सोमवार को पार्टी संसदीय बोर्ड की बैठक के बाद नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी का नाम लिए बिना कहा कि आगामी लोकसभा चुनाव मुख्य विपक्षी दल और कांग्रेस के दो उभरते नेताओं के बीच ‘राष्ट्रपति प्रणाली की तर्ज’ पर हो सकते हैं, जिसमें कांग्रेस पराजित होती नजर आ रही है।
पार्टी की ओर से जारी लेख में राज्यसभा में विपक्ष के नेता ने कहा कि पिछले दो लोकसभा चुनाव में ‘जनता का कांग्रेस के प्रति मोहभंग था, लेकिन भाजपा पर भी आरोप था कि उसके खुद के घर में व्यवस्था नहीं है। इसके यहां नेताओं का जमघट है लेकिन वे उपयोगी होने की बजाय बोझ हैं। सौभाग्यवश पार्टी ने अब अपने घर में व्यवस्था बनानी शुरू कर दी है। इस बार पार्टी के एक नेता के तहत चुनाव लड़ने की संभावना वास्तविक है। स्पष्ट है कि इस ‘एक नेता’ से उनका संकेत मोदी को लेकर है, जिन्हें भाजपा की चुनाव अभियान समिति का अध्यक्ष बनाने के साथ ही पार्टी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में देखा जा रहा है।
जेटली ने दावा किया कि आम चुनाव को लेकर जो राजनीतिक मुद्दे उभर रहे हैं वे कांग्रेस के खिलाफ जा रहे हैं। ‘उसमें निर्णय कर सकने और दृढ नेतृत्व का अभाव आम चिंता का विषय है। देश के इतिहास में प्रधानमंत्री का संस्थान इतना महत्वहीन कभी नहीं हुआ। प्रधानमंत्री को न देश का नेता माना जाता है और न ही उनकी खुद की राजनीतिक पार्टी का।’
भाजपा नेता ने राहुल का नाम लिए बिना कहा कि ऐसे में ‘कांग्रेस अब अपने नए नेता को संभावित मसीहा के रूप में देख रही है। इसका नया नेतृत्व वंशवाद की देन है।’ उन्होंने कहा, लेकिन कांग्रेस का यह नया नेता देश को संकट से कैसे उबारेगा इसे लेकर उसके विचारों को कोई नहीं जानता। जेटली ने कहा- वंशवाद के नेतृत्व के साथ समस्या यह है कि वह परिवार के करिश्मा और उसके उप-नाम पर आधारित होता है, उसमें नेता की क्षमता का कोई लेना-देना नहीं होता है। वंशवाद अपने चारों ओर तिलिस्म पैदा करता है। उसकी राजनीतिक क्षमता, प्रशासनिक योग्यता, नेतृत्व और निर्णय क्षमता के प्रति देश को जानकारी नहीं होती है।

उन्होंने राहुल गांधी का नाम लिए बिना सवाल किया- क्या भारत के मतदाता सत्तारूढ़ वंश के इस युवा वंशज के आर्थिक विचार को जानते हैं? क्या वे यह जानते हैं कि माओवाद, जम्मू कश्मीर और भारत-पाक रिश्तों को लेकर उसकी क्या सोच है? भ्रष्टाचार पर उनकी चुप्पी चिंताजनक है। नेहरू-गांधी परिवार के इस वंशज का नाम लिए बिना उस पर बाण चलाते हुए भाजपा नेता ने कहा- वंशवादी पार्टियां उतनी ही मजबूत या कमजोर होती हैं जितनी उस वंश की मौजूदा पीढ़ी की क्षमता होती है।

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