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Saturday, 6 July 2013

सोनिया के प्रोजेक्‍ट से कंगाल हो जाएगा देश



लोगों को भोजन का अधिकार दिलाने वाले सोनिया गांधी के ड्रीम प्रोजेक्‍ट खाद्य सुरक्षा अध्यादेश के दायरे में देश की 67 फीसदी आबादी है। इसमें 75 फीसदी ग्रामीण और करीब 50 फीसदी लोग शहरों में रहने वाले हैं। कानून के तहत गरीब परिवारों को 35 किलोग्राम अनाज अंत्योदय अन्न योजना के तहत मिलना जारी रहेगा। तीन रुपये किलो चावल, दो रुपये  किलो गेहूं और एक रुपये किलो मोटा अनाज मिलेगा।लेकिन अहम सवाल यह है कि बदलते दौर में लोग खाने-पीने खासकर राशन पर कपड़ों, फुटवियर और घरेलू गैजेट्स की तुलना में बहुत कम खर्च कर रहे हैं। नेशनल सैंपल सर्वे ऑर्गेनाइजेशन (एनएसएसओ) के वर्ष 2011-12 के शहरी भारतीय के औसत खर्च के आंकड़े ऐसी ही तस्वीर पेश करते हैं। ऐसे में अनाज वह भी सिर्फ चावल, गेहूं और मोटा अनाज देने से सरकार किसका कितना भला कर पाएगी? खाद्य सुरक्षा अध्यादेश (खाद्य सुरक्षा अध्यादेश पर सियासत गर्म) को कई आर्थिक जानकार देश के खजाने और वित्तीय सेहत के लिए खतरनाक मान रहे हैं। कई लोग इसे किसानों के हितों के खिलाफ भी बता रहे हैं तो कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि इस अध्यादेश के चलते कुछ समय बाद देश को खाद्यान्न विदेशों से आयात करना पड़ेगा, जो हमें 50-60 के दशक की याद दिलाएगा। हालांकि, केंद्रीय खाद्य आपूर्ति मंत्री केवी थॉमस ने शुक्रवार को दावा किया कि खाद्य सुरक्षा अध्यादेश लागू होने से सरकार का घाटा नहीं बढ़ेगा।
जल्द चुनाव होने की बात को खारिज करते हुए कांगे्रस ने आज कहा कि खाद्य सुरक्षा उपाय हालात बदलने वाला कदम है जो 82 करोड़ लोगों को सस्ते खाद्यान्न का अधिकार मुहैया करायेगा। सरकार और पार्टी द्वारा इस अध्यादेश को राष्ट्रपति की मंजूरी का इंतजार किये जाने के बीच कांगे्रस महासचिव अजय माकन एवं खाद्य मंत्री के वी थामस ने विपक्ष पर आरोप लगाया कि उसने संसद के पिछले सत्र में इस महत्वपूर्ण विधेयक के पारित होने में अड़चन पैदा की।  कांगे्रस के संपर्क विभाग के प्रमुख माकन ने कहा, ‘‘यह जीवन बचाने वाला हो सकता है, कई लोगों के लिए जीवन बदलने वाला हो सकता है....लिहाजा एक मिनट या एक दिन का विलंब भी, भगवान जाने कितने जीवन पर भारी पड़ सकता है।’’ उन्होंने संसद के मानसून सत्र में अधिक विलंब नहीं होने के बावजूद अध्यादेश लाये जाने को सही ठहराया। पार्टी नेताओं ने कहा कि इस उपाय के प्रभाव को महसूस करने में लोगों को छह माह का समय लग जायेगा और इसे पूरी तरह लागू किया जायेगा। उन्होंने यह भी कहा कि जल्दी चुनाव का कोई तुक नहीं है। माकन ने कहा, किसी भी राजनीतिक दल के लिए सबसे बड़ी बात अपने घोषणापत्र में किये गये वादों को पूरा करना होता है। लोग इस बात पर गौर करेंगे कि कांगे्रस जो भी वादा करती है, उसे पूरा किया जाता है।कन ने कहा, ‘‘इससे विश्वसनीयता भी झलकती है कि जब हम चार राज्यों में चुनाव में उतर रहे हैं तो हमने उस एक बड़े वादे को पूरा कर दिया है जो हमने अपने घोषणापत्र में किया था...यह गरीब लोगों के लिए हालात बदलने वाला होगा।’’थामस ने इन आशंकाओं को खारिज कर दिया कि इसको लागू करने में अड़चनें आयेंगी। खाद्य मंत्री ने कहा, ‘‘राज्यों के साथ सभी मानकों पर विस्तार से विचार विमर्श किया जायेगा। उन्हें संशोधित विधेयक की प्रतियां भी दी गयी हैं।’’माकन ने कहा कि कांगे्रस चर्चा से भाग नहीं रही है क्योंकि अध्यादेश एवं संशोधित विधेयक, दोनो को संसद में व्यापक चर्चा के लिए रखा जायेगा।

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