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Thursday, 4 July 2013

यूपी के रास्‍ते दिल्‍ली





क्या बीजेपी उत्तर प्रदेश के रास्ते दिल्ली तक पहुंचने की रणनीति पर काम कर रही है। नरेंद्र मोदी के कमान संभालते ही अचानक यूपी पर फोकस बढ़ गया है। पहले अमित शाह को यूपी भेज कर और अब खुद यूपी से चुनाव लड़ने की तैयारी कर मोदी ने मैसेज दे दिया है कि अब दिल्ली की जंग यूपी के रास्ते तय होगी।

चुनाव अभियान समिति की कमान मिलने के साथ ही मोदी बगैर शोर शराबे के अपने एंजेंडे पर लग गए हैं। एजेंडा साफ है, हस्तिनापुर के सिंहासन पर कब्जा करना है लेकिन मोदी और उनके रणनीतिकारों को इसका अहसास है कि यूपी में अपनी खोई ताकत पाए बगैर ये काम आसान नहीं।

पहले मोदी ने अपने खास अमित शाह को यूपी में बीजेपी की जमीन मजबूत करने का जिम्मा सौंपा
और अब चर्चा नरेंद्र मोदी के यूपी से चुनाव लड़ने की है। इसके लिए पार्टी लखनऊ, वाराणसी या इलाहाबाद की सीट को मुफीद मान रही है। अब संकेत ये भी मिल रहे हैं कि मोदी वाराणसी से लोकसभा का चुनाव लड़ सकते हैं।

बीजेपी के राष्ट्रीय महसचिव रामेश्वर चौरसिया हालांकि खुल कर बोलने को तो तैयार नहीं हुए लेकिन इशारों ही इशारों में ये जरूर बता दिया कि नरेंद्र मोदी इस बार यूपी के रास्ते दिल्ली जाने का मन बना चुके है।

बहुत साफ है कि 80 लोकसभा सांसद देने वाला यूपी तय करता है कि दिल्ली की सत्ता पर कौन काबिज होगा। मोदी इस बहाने देश के साथ ही पार्टी को भी मजबूत मैसेज देना चाहते हैं। भारतीय राजनीति में उत्तर प्रदेश के महत्व से हर कई वाकिफ है।

1991 से लेकर 1999 तक उत्तरप्रदेश के भरोसे लोकसभा में बीजेपी की संख्या मजबूत बनी रही। 2009 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को महज 10 सीटों से संतोष करना पड़ा था। अगर बीजेपी यूपी में 1991 का इतिहास दोहराना चाहती है तो साफ है कि इससे पार्टी तो मजबूत होगी ही साथ ही पूरे देश में बीजेपी की स्थिति बेहतर हो सकती है।

फिर यूपी में मोदी की मौजूदगी से कहीं ना कहीं बीजेपी के समर्थक फिर से पार्टी से जुड़ सकते हैं। बीजेपी के रणनीति कारों को उम्मीद है कि यूपी में मोदी की मौजूदगी से कई समीकरण बीजेपी के लिए अनुकुल हो सकते हैं। लेकिन मोदी यूपी से किस्मत आजमाएंगे और यह पार्टी को कितना फयदा पहुंचाएगा फिलहाल यह कहना मुश्किल है...

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