कैबिनेट ने फूड सिक्योरिटी अध्यादेश को मंजूरी दे दी है। बिल को लोकसभा और राज्यसभा से भी मंजूरी मिलनी जरूरी होगी। संसद के मॉनसून सत्र के दौरान इस बिल को लोकसभा और राज्यसभा में पेश किया जाएगा।
फूड सिक्योरिटी बिल के तहत सरकार का प्रति व्यक्ति 5 किलो अनाज देने का प्रस्ताव है। साथ ही 3 रुपये प्रति किलो के भाव से चावल, 2 रुपये प्रति किलो के भाव से गेहूं और 1 रुपये प्रति किलो के भाव से मोटा अनाज देने की योजना है।
फूड सिक्योरिटी बिल पास होने के बाद सरकार पर वित्त वर्ष 2014 में 1.24 लाख करोड़ रुपये का सब्सिडी बोझ पड़ेगा। इसके अलावा अतिरिक्त फूड सब्सिडी 23800 करोड़ रुपये की होगी।
फूड सिक्योरिटी बिल से भारत की 67 फीसदी आबादी को फायदा मिलेगा, जिसमें 75 फीसदी ग्रामीण और 50 फीसदी शहरी आबादी का समावेश होगा। हालांकि फूड सिक्योरिटी बिल के तहत किसे फायदा मिलेगा, ये राज्य सरकारों की मदद से योजना आयोग तय करेगा।
खाद्य सुरक्षा बिल को लागू करने के निर्णय से चालू वित्त वर्ष में सरकार का राजकोषीय घाटा 4.8 फीसदी के लक्ष्य से आधा फीसदी आगे बढ़ सकता है और इससे मामला और जटिल बन सकता है.
सिंगापुर के इस ब्रोकरेज फर्म ने एक रिपोर्ट में कहा कि ''इस साल राजकोषीय घाटा तय लक्ष्य से कम से कम आधा फीसदी उपर जा सकता है.’’
रिपोर्ट में कहा गया है कि सब्सिडी बिल बढ़कर जीडीपी के 2.3 फीसदी तक पहुंच सकता है, जो 1.9 फीसदी के लक्ष्य से काफी उपर है. सब्सिडी बिल में बढ़ोतरी की मुख्य वजह व्यापक स्तर पर खाद्य सब्सिडी होगी.
राजकोषीय मोर्चे पर रूपए में गिरावट और बाद में कच्चे तेल में तेजी, आग में घी डालने जैसा काम करेगी.
गौरतलब है कि मंत्रिमंडल ने खाद्य सुरक्षा बिल को लागू करने के लिए अध्यादेश लाने का निर्णय किया है. खाद्य सुरक्षा बिल के जरिए देश की दो तिहाई आबादी को 1 से 3 रूपये प्रति किलो की दर पर हर महीने 5 किलो खाद्यान्न का कानूनी अधिकार मिलेगा.
फूड सिक्योरिटी बिल के तहत सरकार का प्रति व्यक्ति 5 किलो अनाज देने का प्रस्ताव है। साथ ही 3 रुपये प्रति किलो के भाव से चावल, 2 रुपये प्रति किलो के भाव से गेहूं और 1 रुपये प्रति किलो के भाव से मोटा अनाज देने की योजना है।
फूड सिक्योरिटी बिल पास होने के बाद सरकार पर वित्त वर्ष 2014 में 1.24 लाख करोड़ रुपये का सब्सिडी बोझ पड़ेगा। इसके अलावा अतिरिक्त फूड सब्सिडी 23800 करोड़ रुपये की होगी।
फूड सिक्योरिटी बिल से भारत की 67 फीसदी आबादी को फायदा मिलेगा, जिसमें 75 फीसदी ग्रामीण और 50 फीसदी शहरी आबादी का समावेश होगा। हालांकि फूड सिक्योरिटी बिल के तहत किसे फायदा मिलेगा, ये राज्य सरकारों की मदद से योजना आयोग तय करेगा।
खाद्य सुरक्षा बिल को लागू करने के निर्णय से चालू वित्त वर्ष में सरकार का राजकोषीय घाटा 4.8 फीसदी के लक्ष्य से आधा फीसदी आगे बढ़ सकता है और इससे मामला और जटिल बन सकता है.
सिंगापुर के इस ब्रोकरेज फर्म ने एक रिपोर्ट में कहा कि ''इस साल राजकोषीय घाटा तय लक्ष्य से कम से कम आधा फीसदी उपर जा सकता है.’’
रिपोर्ट में कहा गया है कि सब्सिडी बिल बढ़कर जीडीपी के 2.3 फीसदी तक पहुंच सकता है, जो 1.9 फीसदी के लक्ष्य से काफी उपर है. सब्सिडी बिल में बढ़ोतरी की मुख्य वजह व्यापक स्तर पर खाद्य सब्सिडी होगी.
राजकोषीय मोर्चे पर रूपए में गिरावट और बाद में कच्चे तेल में तेजी, आग में घी डालने जैसा काम करेगी.
गौरतलब है कि मंत्रिमंडल ने खाद्य सुरक्षा बिल को लागू करने के लिए अध्यादेश लाने का निर्णय किया है. खाद्य सुरक्षा बिल के जरिए देश की दो तिहाई आबादी को 1 से 3 रूपये प्रति किलो की दर पर हर महीने 5 किलो खाद्यान्न का कानूनी अधिकार मिलेगा.
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