यूपीए सरकार पिछले नौ साल से सत्ता में है.. लेकिन देश की एक बड़ी आबादी आजादी
के पहले से भूखे पेट सोने को मजबूर है.. उस गरीब और बड़ी आबादी में बच्चे कुपोषित
पैदा होते हैं.. पैर में जान नहीं होती.. पेट बाहर को निकल आता है.. ऐसे हजारों
बच्चे हर साल मौत के मुंह में चले जाते हैं.. बमुश्किल एक जून की रोटी खाने वाली
गरीब गर्भवती महिलाओं में से ज्यादातर प्रसव के दौरान दम तोड़ देती हैं.. इस भयंकर
और दिल दहला देने वाले तथ्यों की जानकारी देश का हर कुर्ताधारी जानता है..
कांग्रेस को तो जमीनी हकीकत का पता सबसे ज्यादा है.. लेकिन दुष्टता और निर्ममता
देखिए.. नौ साल सत्ता में रही.. मनमोहन सिंह के मंत्री सरकारी धन लूटते रहे.. कोई
भी ऐसी जगह नहीं बची जहां घोटाले ना हुए हों.. सोनिया गांधी सबकुछ देखती रहीं..
भला देखती कैसे नहीं.. दामाद जी भी तो अपनी जेब भरते रहे.. बेहयाई देखिए नौ साल तक
कांग्रेस को आटे पेट खाकर सोने वाले लोगों की याद नहीं आई..
यूपीए टू के चार साल
बीत गए लोगों को जानबूझकर भूखा रखा.. अब 2014 के चुनाव से ठीक पहले अपने पाप धोने
की तैयारी कर ली... फूड सिक्योरिटी बिल लेकर आ गई.. दरअसल कांग्रेस ने इस बिल को
जानबूझकर अब तक अपनी झोली में छिपा रखा था.. ताकि पाप कर सके.. और जब पाप का घड़ा
भर जाए तो फूड सिक्योरिटी बिल के जरिए उसे कम करने की कोशिश हो सके.. यही तो
सोनिया गांधी का मास्टर प्लान था.. फूड सिक्योरिटी बिल के लिए संसद सत्र का इंतजार
तक नहीं किया गया.. अध्यादेश लाकर राष्ट्रपति के दस्तखत करवा लिए.. अरे सोनिया जी
जब आपको देश के 70 करोड़ गरीबों की इतनी ही चिंता थी तो नौ साल तक किस बात का
इंतजार किया.. देश की जनता आपको सस्ते में अऩाज देकर पेट भरने वाली इस योजना के
लिए शाबादी नहीं देगी.. आपको नौ साल तक भूखे रखने की सजा देगी.. ऐसी घटिया राजनीति
का क्या फायदा कि नौ साल भूखे रखो फिर चुनाव से ठीक पहले रोटी के टुकड़ों की बारिश
कर दो.. ताकि मामला एक दम ताजा लगे.. और इन्हीं रोटी के टुकड़ों की याद दिलाकर वोट
मांगने लग जाओ.. फिर सत्त और आओ और देश को लूट लो.. खसोट लो.. इसे कांग्रेस की नीच
हरकत से कम कुछ भी नहीं मानना चाहिए.. कितनी शर्म की बात है, देश के गृहमंत्री
अपनी आंख का इलाज कराने विदेश जाते हैं.. अरे बेशर्म मंत्री जी आपके पास तो पैसा
है विदेश जाकर इलाज करा लोगे बाकी जनता क्या करेगी.. ऐसी व्यवस्था क्यों नहीं करते
कि देश में ही बेहतर इलाज संभव हो सके.. शिंदे जी आपके विदेश जाने से ये बात साबित
होती है कि आपको अपने देश की स्वास्थ्य व्यवस्था पर भरोसा नहीं है.. होगा कैसे किया
धरा तो आप जैसों का ही है.. अस्पतालों की हालत ऐसी है कि लोग जानवरों की तरह इलाज
कराने को मजबूर हैं.. और आप जैसे सफेदपोश विदेश घूमते रहते हैं.. चुनाव से ठीक
पहले रोटी का टुकड़ा फेंककर एहसान जताते हैं और फिर वोट मांगकर राजसी ठाटबाट से
ज़िंदगी जीते हैं..
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