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Thursday, 20 June 2013

मिले भागवत और आडवाणी



भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेता लालकृष्ण आडवाणी ने आज राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत से मुलाकात की और पार्टी की मौजूदा स्थिति के संबंध में चर्चा की। गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को चुनाव अभियान की कमान सौंपे जाने से नाराज आडवाणी ने संघ प्रमुख को हाल के घटनाक्रमों के बारे में अपने विचार रखे।
पार्टी के तीन पदों से इस्तीफा देने और फिर वापस लेने के बाद आडवाणी की भागवत से यह पहली मुलाकात थी। संघ प्रमुख के रहने पर आडवाणी ने अपना इस्तीफा वापस ले लिया था। आडवाणी ने भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह को लिखे पत्र मे पार्टी के कामकाज के तरीके और उसकी दिशा पर गहरा असंतोष जताया था। सूत्रों के अनुसार आडवाणी ने इन मुद्दों पर संघ प्रमुख के साथ चर्चा की। आडवाणी अस्वस्थता के चलते कल श्री भागवत से मुलाकात नहीं कर सके थे।इससे पहले नरेंद्र मोदी ने भी दो दिन पहले आडवाणी के घऱ जाकर उनसे मुलाकात की थी। ये मुलाकात करीब एक घंटे चली। इसके अलावा मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से भी मुलाकात कर उनका हालचाल लिया था।
संघ के यहां स्थित कार्यालय केशवकुंज में दोनों नेताओं के बीच लगभग 75 मिनट तक बातचीत हुई. भाजपा के गोवा अधिवेशन में मोदी को पार्टी की चुनाव अभियान समिति का अध्यक्ष बनाये जाने के कथित विरोध में 10 जून को भाजपा के सभी पदों से इस्तीफा दे देने के बाद आडवाणी की भागवत से यह पहली मुलाकात है.
इससे पहले भागवत ने ही फोन पर बातचीत करके आडवाणी को इस्तीफा वापस लेने के लिए मनाया था. उनके कहने पर उन्होंने 11 जून को इस्तीफा वापस ले लिया था. भागवत ने आडवाणी को आश्वासन दिया था कि पार्टी की कार्यप्रणाली को लेकर उनकी चिंताओं पर ध्यान दिया जायेगा.
बाद में आडवाणी ने कहा कि उन्होंने मोदी के कारण नहीं बल्कि भाजपा की कार्यप्रणाली के अंदाज के विरोध में इस्तीफा दिया था.
सूत्रों ने बताया कि आडवाणी और भागवत के बीच उक्त सभी विषयों पर चर्चा हुई. बताया जाता है कि आडवाणी संघ के संयुक्त महासचिव सुरेश सोनी और पार्टी में संघ की ओर से नियुक्त भाजपा महासचिव (संगठन) रामलाल के भी खिलाफ हैं और चाहते हैं कि उन्हें उनके पदों से हटाया जाये.
यह, हालांकि स्पष्ट नहीं हो सका है कि इस बातचीत में आडवाणी की शिकायतें किस हद तक दूर हुई हैं. आडवाणी की कल ही भागवत से मुलाकात होनी थी लेकिन उनके (आडवाणी के) अस्वस्थ होने के कारण उसे स्थगित कर दिया गया. संघ की मर्जी से ही मोदी का कद भाजपा में बढ़ाया गया है और यह निश्चित है कि इस निर्णय पर कोई पुनर्विचार नहीं होगा. आडवाणी का कहना है कि मोदी को यह नया पद दिए जाने से सहयोगी दल साथ छोड़ देंगे और राजग कमजोर होगा. मोदी के मुद्दे पर जदयू के राजग से हट जाने के चलते आडवाणी का यह तर्क मजबूत हुआ है. मोदी ने 18 जून को आडवाणी से मुलाकात करके उनकी नाराजगी दूर करने का प्रयास किया था. आडवाणी से हुई उनकी बातचीत को अच्छी बताया गया था और कहा गया था कि वह सकारात्मक नोट पर समाप्त हुई.
दिलचस्प बात यह है कि आडवाणी ने पार्टी संबंधी अपनी शिकायतें संघ के सम्मुख रखी हैं, जबकि वह हमेशा इस बात के विरोधी रहे हैं कि पार्टी का संघ सूक्ष्म प्रबंधन करे. आडवाणी से पहले भाजपा के पूर्व अध्यक्ष एम वेंकैया नायडू ने भी भागवत से भेंट की.

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