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Saturday, 15 June 2013

नीतीश का नया मंत्रिमंडल बनकर तैयार

दिल्ली और बिहार में शनिवार के दिन मीडिया अनौपचारिक संदेशों को ग्रहण करके यह संदेश देने की कोशिश करता रहा है कि भाजपा और जनता दल युनाइटेड के बीच अब सब कुछ खत्म हो चुका है और संबंध विच्छेद की औपचारिक घोषणा भर बाकी है। लेकिन यह तो मीडिया का रोल है। बात उसके भी आगे पहुंच चुकी है। नीतीश कुमार ने माइनस भाजपा अपना नया मंत्रिमंडल भी गठित कर लिया है और भावी सरकार की रुपरेखा भी। अब बस नये मंत्रिमंडल के शपथ ग्रहण का इंतजार है। 

विश्वसनीय सूत्रों की मानें तो नीतीश कुमार ने अपने नये मंत्रिमंडल का गठन कर लिया है। इस नये मंत्रिमंडल की खासियत यह है कि यह भाजपा माइनस मंत्रिमंडल है। पांच निर्दलीय विधायक के अपने पक्ष में आने के बावजूद भी जदयू अपने को सेफ नहीं मान रहा है। चर्चा है कि राजद से कुछ विधायक एक बड़े नेता के नेतृत्व में टूटकर जदयू में जल्द ही शामिल हो सकते हैं।
चर्चा है कि जदयू के वरीय नेता विधान पार्षद डॉ. महाचन्द्र प्रसाद सिंह, देवेश चन्द्र ठाकुर, मुख्य सचेतक श्रवण कुमार, विधायक ऊषा सिन्हा, ज्ञानेन्द्र सिंह ज्ञानु, अनिल कुमार के अलावा निर्दलीय विधायक पवन जायसवाल, विनय बिहारी, सोमप्रकाश यादव, दुलाल चन्द्र गोस्वामी व ज्येति रश्मि का मंत्री बनना लगभग तय माना जा रहा है। इसके अलग नीतीश कुमार के अति विशेष सहयोगी रहे ललन शर्राफ को भी मंत्री बनाकर 6 महीने के अंदर विधान पार्षद बनाने की चर्चा है।
वहीं मंत्री बनने वाले अन्य चेहरों में भगवान सिंह कुशवाहा, छेदी पासवान, मंजर आलम व एक महादलित कोटे के एक नेता का नाम है। नई सरकार में विजय कुमार चौधरी या विजेन्द्र यादव में से किसी को वित्त विभाग तथा मंत्रीमंडल में दूसरे स्थान पर बिठाने की भी चर्चा है।
बहरहाल, जदयू सूत्रों की माने तो जदयू के मंत्री 16 तारीख की बैठक के बाद निर्णय के बाद 17 जून को राज्यपाल के पटना पहूंचने पर अपना इस्तीफा सौंपेगे और उनसे जदयू के नेतृत्व में नई सरकार बनाने का भी दावा पेश करेंगे। खास बात यह कि विभाग हथियाने की होड़ मची है। खासकर विशेष कमाई वाले विभाग यथा पथ निर्माण मंत्री  व स्वास्थ्य विभाग को लेकर जदयू में लॉबिंग जोरों है। ज्यादातर मंत्री इस पद को पाने की लिए अपनी पैरबी कर रहे हैं।
इस बीच शनिवार को पटना में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा आयोजित एक बैठक में शामिल होने से उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी और भाजपा के मंत्री नंद किशोर ने जाने से परहेज किया। बैठक में न जाने के फैसले पर नंद किशोर यादव ने टिप्पणी की है कि वे हमसे कुछ बात करना चाहते हैं, लेकिन ऐसी स्थिति में क्या बात हो सकती है?

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