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Monday, 5 August 2013

शॉटगन का होगा नया ठौर!



यदि यह कहा जाए कि राजनीति में भी कुछ भी स्थायी नहीं होता है, तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। कहा जा रहा है कि भाजपा सांसद और अभिनेता  ‘शॉटगन’ यानी शत्रुघ्न सिन्हा  जल्द ही जेडीयू में शामिल हो सकते हैं। गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के चुनाव प्रचार समिति के अध्यक्ष बनने के बाद से ही शॉटगन ने अपने तेवर तल्ख कर रहे हैं। पहले मोदी की खिलाफत और उसके बाद नीतीश कुमार की सोहबत में आने के बाद सियासी गलियारों में चर्चा जोरों पर है कि शत्रुघ्न सिन्हा जल्द ही जेडीयू खेमा में शामिल हो सकते हैं।
सूत्रों का कहना है कि जेडीयू की ओर से उन्हें पार्टी में शामिल होने का आमंत्रण मिला है। भाजपा से संबंध टूटने के बाद नीतीश ने उन्हें अपनी सेना में शामिल होने का न्योता दिया है। गौरतलब है कि इसके पहले भी शत्रुघ्न सिन्हा ने गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ बगावत का झंडा बुलंद किया था। उन्होंने कहा था कि मोदी को पीएम पद तक पहुंचाने के लिए लालकृष्ण आडवाणी और सुषमा स्वराज जैसे सीनियर नेताओं को किनारे लगाया जा रहा है। सिन्हा ने चेतावनी देते हुए कहा था कि कहीं कोई अपना ही पार्टी के खिलाफ गोल न कर दे। इस बयान के अगले ही दिन वह बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिलकर सियासी अटकलों का बाजार गरम कर दिया था।
एक ओर भाजपा जहां बिहारी बाबू के बयान से सकते में है, तो वहीं सूबे की सियासत में इसके कई मायने ढूंढे जा रहे हैं। बाकौल शत्रुघ्न सिन्हा, ‘नीतीश पीएम मेटेरिल हैं। इस पद के लिए उनकी क्षमता पर कोइ सवाल नहीं उठा सकता। वे अपने निजी संबंधों के आधार पर राजग व जदयू के बीच सेतु बनाने की कोशिश करेंगे। हमलोग सत्रह साल तक साथ रहे। अगर आज हम साथ नहीं, तो इसका अर्थ नहीं हो सकता कि हम कल भी एक नहीं होंगे। मेरे बिहार के मुख्यमंत्री के साथ भाई जैसे संबंध हैं, वह मुझे काफी सम्मान देते हैं।’
जाहिर है बिहारी बाबू ने जाने-अनजाने न सिर्फ भाजपा से प्रधानमंत्री पद के दावेदार नरेंद्र मोदी को खारिज कर दिया, वरन नीतीश कुमार को इस पद का योग्य व्यक्ति बता भाजपा की पसंद पर भी सवाल खड़ा कर दिया है। हालांकि कुछ लोग इसे बिहारी बाबू का पार्टी में हो रही उपेक्षा से जोड़ कर देखते हैं। ऐसे लोगों का मत है कि भाजपा नेतृत्व की ओर से हो रहे अनदेखी की वजह पटना साहिब के सांसद ने इस तरह का बयान दिया। यही कारण है कि शत्रुघ्न सिन्हा अपने मूल बयान से दो दिन बाद ही पलट गए। बावजूद इस प्रकरण को कुछ लोग नरेंद्र ्र मोदी व शत्रुघ्न सिन्हा की निजी दुश्मनी को वजह मानते हैं। कुछ ऐसे भी हैं, जो इसे बिहारी बाबू का प्रदेश भाजपा को तोड़ने की मंशा व पटना साहिब से भाजपा से संसदीय टिकट कटता देख जदयू से जुगाड़ को जोड़ते हैं।
दरअसल, शत्रुघ्न सिन्हा की भाजपा में अब वह हैसियत नहीं है, जिसके बूते पूर्व में वे अगराते रहे हैं। पार्टी में सिने अभिनेता सिन्हा की भूमिका एक स्टार प्रचारक व भीड़-जुटाउ नेता की रही है। नरेन्द्र मोदी ने प्रचार समीति के अध्यक्ष बनने के बाद से पार्टी के स्टार प्रचारक व भीड जुटाने का जिम्मा अपने पाले में रखा है। नरेन्द्र मोदी से शॉटगन के असमान्य रिश्ते की कहानी भी जगजाहिर है, जिसका आगाज अमिताभ बच्चन को गुजरात के ब्रांड एम्बेस्डर बनाए जाने से है। बिहारी बाबू गुजरात के ब्रांड एंबेस्डर के तौर पर खुद को स्वभाविक दावेवार मानते थे। वे भाजपा में थे और बॉलीवुड के बेहतरीन अभिनेताओं में शुमार भी। इनके प्रयास से ही गुजरात में फिल्म सीटी का विकास हुआ। बावजूद इसके, नरेंद्र मोदी ने अतिाभ बच्चन को गुजरात का ब्रांड एम्बेस्डर बना दिया। गौर करने योग्य यह भी है कि अमिताभ बच्चन का जुड़ाव पहले कांग्रेस और बाद में समाजवादी पार्टी से रहा। उनकी अर्द्धांगिनी जया बच्चन आज भी सपा से राज्यसभा में सांसद है।
एक जमाना था कि बिहार में भाजपा के लिए शत्रुघ्न सिन्हा से बड़ा कोई राजनेता नहीं था। स्टार प्रचारकों की सूची में काफी इज्जत के साथ उनका नाम लिया जाता था। जिस भी मंच पर वे चले जाते थे, नेता गदगद हो जाते थे। एनडीए के शासनकाल में जब बिहार  विधानसभा चुनाव में एनडीए सबसे बड़ा गठबंधन बनकर उभरा तो सरकार बनाने का उसे न्योता मिला। उस समय जदयू से ज्यादा सीटें भाजपा के पास थी। भाजपा की तरफ से शत्रुघ्न सिन्हा से भी कहा गया कि वह मुख्यमंत्री बने। लेकिन शत्रुध्न सिन्हा जानते थे कि सरकार अपना बहुमत नहीं साबित कर पाएंगी इस लिए नाक कटवाने के लिए सीएम क्यों बना जाए?
इन तमाम घटनाओं-परिघटनाओं के बीच लाख टके सवाल यह कि बिहारी बाबू को ‘नमो’ के खिलाफत की ताकत मिल कहां से रही है? तो इसका टका सा जवाब है बिहार भाजपा में नरेंन्द्र मोदी के खिलाफ परवान चढता बगावत का सुर। नीतीश कुमार को पीएम मेटेरियल बताने वालों की बढ़ती तादाद और नरेंद्र मोदी के खिलाफ पार्टी में ही उठते बागी सुर यह बताने के लिए काफी है कि भाजपा में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा, जिसका फायदा शत्रुघ्न सिन्हा जैसे नेता को सीधे तौर पर पहुंचा है। न चाहते हुए भी ऐसे बागी नेता अपने को शत्रु के साथ जोड़कर नमो विरोध को व्यापक रंग देने की कोशिश कर रहे हैं।

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