केजरीवाल कांग्रेस के साथमिल कर सरकार तो बनाने में कामयाब हो गए लेकिन ये सरकार चलती कितनी दिन है ये देखना दिलचस्प होगा। केजरीवाल चुनावों के पहले और बाद भी यही राग अलापरहे थे कि वो न भाजपा न ही कांग्रेस को समर्थन देंगे न ही उनसे समर्थन लेंगे। लेकिन भाजपा के सरकार बनाने से मन कर देने के बाद उन्होंने कांग्रेस से हाथ मिला लिया और जिस पार्टी के खिलाफ ही उनका पूरा आंदोलन था और जिन मुद्दों पर उन्हें चुनावों मैं सफलता हाथ लगी उन सब बातों को भूल कर उन्होंने कांग्रेस से हाथ मिला लिया जो यही जाहिर करता है कि केजरीवाल भी सत्ता के भूखे हैं और ईमानदारी के ढोंग करते हैं। हलाकि उन्होंने और उनके पार्टी के अन्य लोगो ने जनता कि आँखों मैं खूब धुल झोकी और अंत तक कांग्रेस से हाथ न मिलाने कि बात करते रहे और कुमार विश्वास ने तो कांग्रेस को दो मुह साप तक कह डाला लेकिन आखिर में उसी दो मुहे साप को गले लगा लिया। केजरीवाल ने किसी तरह जोड़ तोड़ के सरकार तो बना ली लेकिन अपनी बैटन से वो अभी ही मुकरने लग गए हैं। पहले तो वो सरकार बनने के दस दिनों के अंदर ही बिजली के दाम घटाने कि और मुफ्त पानी देने कि बात कर रहे थे लेकिन अब वो इन बातो से बचने कि कोशिश कर रहे हैं और ऑडिट का हवाला दे रहे हैं कि कम से कम तीन महीने तो बिजली कम्पनियों का ऑडिट करने मैं लग जायेगा। क्या उनको यह बात पहले नहीं पता थी या अभी पता लगी , निश्चित है कि उन्होंने सिर्फ चुनाव जीतने के लिए इन सब वादों का उपयोग किया, वैसे भी वो वादों से पलटना काफी अच्छे से जानते हैं। अन्ना के साथ आंदोलन करते समय भी वो यही राग अलाप रहे थे कि उनका आंदोलन गैर राजनितिक होगा ,लेकिन आंदोलन कि सफलता देख उनकी नीयत बदल गयी और उन्होंने पहले तो अन्ना का आंदोलन हाइजैक किया फिर पार्टी भी बना ली। अभी सरकार पूरी तरह से बनी भी नहीं है कि कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के लोगो के बीच वाक्युद्ध शुरू हो गया है , कोई किसी को दोमुहा साप और चोर बता रहा है तो कोई भाषा कि गरिमा सिखा रहा है। जो भी हो कोग्रेस के समर्थन देने के पुराने ट्रैक रिकॉर्ड को देखते हुए और आम आदमी पार्टी के बदलते हुए सुरों को देखते हुए इस सरकार का ज्यादा दिन चल पाना मुश्किल लगता है।
अजित कुमार पाण्डेय ( अध्यक्ष ) पूर्वांचल विकास मोर्चा
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