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Saturday, 1 February 2014

राजीव गांधी कि अवहेलना से बढ़े दंगे --- अजित कुमार पाण्डेय



राहुल गांधी द्वारा एक न्यूज़ चैनल को दिया गया इंटरव्यू आजकल खूब चर्चा मे है। राहुल गांधी ने इस इंटरव्यू में कुछ कोंग्रेसियों का १९८४ के सिख विरोधी दंगों में हाथ होने कि बात स्वीकार कि थी। अब यही बयान उन्हें और उनकी पार्टी को भरी पड़ गया है। कांग्रेस को अब समाज मैं नहीं आ रहा है कि इस बयान को कैसे बदला जाये।  मौका पाकर केजरीवाल भी बीच मैं कूद पड़े हैं और सिख दंगों कि दुबारा जांच करने कि माग कर रहे हैं। लोकसभा के चुनावों से ठीक पहले दिए गए इस बयानपर काफी हंगामा हो रहा है। 
हलाकि राहुल गांधी दंगों का मुद्दा उठा कर मोदी को घेरने कि कोशिश कर रहे थे लेकिन उनका वार उल्टा पद गया और वो खुद ही विवादों मैं फस गए।  वैसे ये कोई पहला मौका नहीं है जब राहुल गांधी ने ऐसे बेवकूफाना बयान पहले न दिए हो बल्कि वो तो पहले भी कई बार अपनी हरकतों से कांग्रेस कि किरकिरी करा चुके हैं। इस बार चुनावों से ठीक पहले इस तरह के बयान कांग्रेस को काफी नुक्सान पहुचाने वाले हैं। 
ये मुद्दा पहले भी उठता रहा है कि कोंग्रेसियों ने ही दंगा भड़काया था और राजीव गांधी ने इसमें अपना मौन समर्थन भी दिया था।  उस वक़्त राजीव गांधी ने भी इसी तरह का एक विवादित बयान दिया था और कहा था कि जब भी एक विशाल पेड़ गिरता है तो धरती तो हिलती ही है।  मतलब साथ कि इंदिरा जी कि हत्या के बाद से ही कांग्रेसी सिखों के खिलाफ हो गए थे और उन्होंने ही दंगा भड़काया था। वैसे भी उस समय कि गयी सभी जाचों मैं यह बात खुल कर सामने आयी हैं कि कांग्रेस का इन दंगों मैं प्रत्यक्ष रूप से हाथ था। गौरतलब है कि उस वक़्त राजीव गांधी ने तत्कालीन राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह का फ़ोन नहीं उठाया था क्योंकि वो नहीं चाहते थे कि ये दंगे रुके।

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