मांझी नहीं लगा
पाएंगे जदयू की नैया पार!
बिहार में नतीश
कुमार के इस्तीफे के बाद मांझी को सीएम बनाने पर एक बार फिर सियासत शुरू हो गई
है.. लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद जदयू ने इस बार महादलित कार्ड खेलकर
दलितों को लुभाने का पैंतरा खेला है.. लेकिन शायद नीतीश के इस फैसले से बिहार की काफी
जनता निराश भी है.. क्यों कि जनता ने अगर मोदी को पूर्ण बहुमत की सरकार दी है..तो
नीतीश के इस फैसले का गलत असर पड़ सकता है... सवाल ये उठने लगा है की क्या उन्हें दलित होने की वजह से इस कुर्सी के लिए
चुना गया है.. और क्या ऐसा करके जनता दल यूनाइटेड ने दलित कार्ड नहीं खेला है ? मुख्यमंत्री
पद से इस्तीफ़ा देकर नीतीश कुमार ये दिखाना चाहते हैं कि पार्टी के सभी विधायक उनके साथ हैं.. इसके पहले
मीडिया में इस बात को लेकर
चर्चा थी कि कई विधायक और मंत्री भारतीय जनता पार्टी से
मिले हुए हैं.. वहीं भाजपा नेता ये दावा कर रहे थे कि वे
जब चाहें नीतीश सरकार को
गिरा सकते हैं..लेकिन इसके साथ ही एक
सवाल ये भी खड़ा होता है कि
अगर पार्टी विधायक दल की बैठक में
इस्तीफे की घोषणा करते तो क्या ज़्यादा बेहतर नहीं होता ?
नीतीश के लिए कबसे शुरू
काला दिन?
पूरे देश में चल रही मोदी
की लहर ने ये तो साबित कर दिया कि.. ये लहर नहीं थी ये तो सुनामी थी..जिसका असर
लोकसभा चुनाव के परिणाम के बाद दिखा..कि बीजेपी ने पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई..और
नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बन गए... फिलहाल जदयू के लिए उसी दिन से काला दिन शुरू
हो गया था जब उसने बीजेपी से अपना पुराना नाता तोड़ा था.. साथ ही नीतीश का भी पीएम
बनने का जो सपना था वो उसी दिन से अधूरा रह गया.. ऐसे में अब देखने वाली बात ये
होगी कि बिहार में जीतन राम मांझी जदयू की नैया कैसे पार लगाते हैं... इस पर सबकी
नजरें हैं...
लेखक- अजित पाण्डेय, राष्ट्रीय अध्यक्ष, पूर्वांचल विकास मोर्चा
No comments:
Post a Comment