सुशील कुमार शिंदे ने कहा कि अगर कोई इलेक्ट्रॉनिक मीडिया कांग्रेस के खिलाफ अभियान चलायेगा तो मैं उसको कुचल कर रख दूंगा। जब मीडिया ने विरोध किया, तो शिंदे पलट गये और बोले मैं तो सोशल मीडिया की बात कर रहा था।
.यानी
यदि आपने कांग्रेस के खिलाफ ट्वीट या फेसबुक पोस्ट किये और पुलिस की नजर
पड़ गई तो आपका हाल पलघर की रहने वाली शाहीन ढाडा और उसकी दोस्त रेनू
श्रीनिवासन के जैसा होगा। और अगर हवालात में शिंदे आपसे मिलने पहुंच गये,
तो हो सकता है वो आपको कुचल भी दें।
यह हम नहीं शिंदे का बयान कह रहा है, जो उन्होंने मीडिया नहीं सोशल मीडिया पर दिया है। सच पूछिए तो यह बयान हास्यास्पद है, क्योंकि अगर शिंदे को वाकई में सोशल मीडिया में कांग्रेस के विरोधियों को कुचलना है तो उसके लिये उन्हें देश के 9.3 करोड़ फेसबुक यूजर्स और 3.3 करोड़ ट्विटर यूजर्स पर नजर रखनी होगी, क्योंकि पता नहीं कब कौन कहां कांग्रेस के खिलाफ टिप्पणी कर दे।
वैसे शिंदे को इतने बड़ा जूता भी बनवाना पड़ेगा, जिससे इतनी बड़ी संख्या में लोगों को कुचला जा सके। खैर मामले को अगर गंभीरता से लिया जाये तो देश के गृह मंत्री ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 (1A) के खिलाफ जाकर बयान दिया है जो देश के नागरिकों को अपनी बात रखने की स्वतंत्रता प्रदान करता है।
यही कारण है कि तमाम चैनलों ने शिंदे के बयान को तालिबानी करार दिया। सोशल मीडिया पर तानाशाह हुए देश के गृह मंत्री सोशल मीडिया में कांग्रेस के खिलाफ लगातार हो रहे पोस्ट ने गृहमंत्री की चिंता बढ़ा दी, लेकिन सवाल यह उठता है कि यह चिंता तब कहां थी, जब बैंगलोर में वायरल हुए ट्विटर और एफबी पोस्ट की वजह से नॉर्थ-ईस्ट के हजारों लोगों ने शहर छोड़ दिया था।
मुजफ्फरनगर में दंगे की आग और भड़कने का कारण भी सोशल मीडिया था, लेकिन तब गृह मंत्री को कोई असर नहीं पड़ा। वैसे कुल मिलाकर देखा जाये तो शिंदे का यह गुबार फूटने का मुख्य कारण लोकसभा चुनाव का करीब आना है। जैसे-जैसे ओपीनियन पोल्स में कांग्रेस का ग्राफ नीचे जा रहा है, शिंदे समेत तमाम कांग्रेसी नेताओं की हार्ट बीट बढ़ती जा रही है।
इस पर पूर्वांचल विकास मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष, अजित कुमार पाण्डेय का कहना है कि इस बयान से साफ है कि देश के गृहमंत्री राजतंत्र पर चल रहे हैं, जबकि देश लोकतंत्र पर चलता है। इसके अलावा सविधान के अनुच्छेद 19 के तहत ही कहा गया है कि सरकार में किसी भी पद पर तैनात व्यक्त ऐसी कोई बात सार्वजनिक रूप से नहीं कह सकता जिससे सरकार का तानाशाह रवैया झलके।
यह हम नहीं शिंदे का बयान कह रहा है, जो उन्होंने मीडिया नहीं सोशल मीडिया पर दिया है। सच पूछिए तो यह बयान हास्यास्पद है, क्योंकि अगर शिंदे को वाकई में सोशल मीडिया में कांग्रेस के विरोधियों को कुचलना है तो उसके लिये उन्हें देश के 9.3 करोड़ फेसबुक यूजर्स और 3.3 करोड़ ट्विटर यूजर्स पर नजर रखनी होगी, क्योंकि पता नहीं कब कौन कहां कांग्रेस के खिलाफ टिप्पणी कर दे।
वैसे शिंदे को इतने बड़ा जूता भी बनवाना पड़ेगा, जिससे इतनी बड़ी संख्या में लोगों को कुचला जा सके। खैर मामले को अगर गंभीरता से लिया जाये तो देश के गृह मंत्री ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 (1A) के खिलाफ जाकर बयान दिया है जो देश के नागरिकों को अपनी बात रखने की स्वतंत्रता प्रदान करता है।
यही कारण है कि तमाम चैनलों ने शिंदे के बयान को तालिबानी करार दिया। सोशल मीडिया पर तानाशाह हुए देश के गृह मंत्री सोशल मीडिया में कांग्रेस के खिलाफ लगातार हो रहे पोस्ट ने गृहमंत्री की चिंता बढ़ा दी, लेकिन सवाल यह उठता है कि यह चिंता तब कहां थी, जब बैंगलोर में वायरल हुए ट्विटर और एफबी पोस्ट की वजह से नॉर्थ-ईस्ट के हजारों लोगों ने शहर छोड़ दिया था।
मुजफ्फरनगर में दंगे की आग और भड़कने का कारण भी सोशल मीडिया था, लेकिन तब गृह मंत्री को कोई असर नहीं पड़ा। वैसे कुल मिलाकर देखा जाये तो शिंदे का यह गुबार फूटने का मुख्य कारण लोकसभा चुनाव का करीब आना है। जैसे-जैसे ओपीनियन पोल्स में कांग्रेस का ग्राफ नीचे जा रहा है, शिंदे समेत तमाम कांग्रेसी नेताओं की हार्ट बीट बढ़ती जा रही है।
इस पर पूर्वांचल विकास मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष, अजित कुमार पाण्डेय का कहना है कि इस बयान से साफ है कि देश के गृहमंत्री राजतंत्र पर चल रहे हैं, जबकि देश लोकतंत्र पर चलता है। इसके अलावा सविधान के अनुच्छेद 19 के तहत ही कहा गया है कि सरकार में किसी भी पद पर तैनात व्यक्त ऐसी कोई बात सार्वजनिक रूप से नहीं कह सकता जिससे सरकार का तानाशाह रवैया झलके।