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Saturday, 24 December 2016

अटलजी की कविताओं को हिन्दी पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए...

भारत के पूर्व प्रधानमंत्री, भारतीय जनसंघ के संस्थापक, भारतीय जनता पार्टी के संस्थापक सदस्य, कवि और 11 भाषाओं के ज्ञाता अटल बिहारी वाजपेयी जी को जन्मदिन के शुभ-अवसर पर आपके अच्छे स्वास्थ्य और मंगलमय जीवन की प्रार्थना करता हूँ।



अटल जी आप मेरे प्रेरणा स्त्रोत हैं. आप एक कुशल कवि, राजनेता और वक्ता रहे हैं. जब भी हताश होता हूँ, आपकी कोई कविता पढ़ लेता हूँ और मन प्रफुल्लित-ऊर्जीत हो जाता है।

मैं मोदी सरकार से निवेदन करता हूँ कि अटलजी की कविताओं को और उनकी जीवनी को विभिन्न बोर्ड के हिन्दी पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए ताकि आनेवाली पीढ़ियों को उचित प्रेरणा मिले।

Saturday, 17 December 2016

बीजेपी को महंगा पड़ सकता है मोदी का नोटबंदी फैसला

उत्तर प्रदेश विधानसभा के चुनाव सिर पर आ चुके हैं, पार्टी कार्यकर्ता नोटबंदी के फैसले पर वोटरों की नाराजगी को लेकर आशंकित हैं. वे काले धन को तो किसी भावनात्मक बात से जोड़ सकते हैं पर डिजिटल पेमेंट को आम जनता में स्वीकार्य कैसे बनायेंगे?

एक ऐसा देश जहां लोगों का बैंकिंग व्यवस्था पर विश्वास कम है, मोबाइल फोन अब भी कौतुक की चीज है, कैशलेस पेमेंट करने के लिए जरूरी इन्फ्रास्ट्रक्चर नहीं है वहां कोई पार्टी कैसे ग्रामीण जनता को डिजिटल होने के फायदे गिना सकती है.

उससे भी खराब यह कि डिजिटल होने की बात से यह जनता इतनी अनभिज्ञ और अनजान हैं कि तकनीक की ये बातें उनकी समझ में भी नहीं आएंगी. मोदी जैसे जमीन से जुड़े और अनुभवी नेता को इस बात का एहसास तो होगा.

वे यह तो समझते ही होंगे कि विमुद्रीकरण के इस फैसले से जनसाधारण में किस तरह की नाराजगी है और इस फैसले पर और ज्यादा समय तक विरोध का बचाव नहीं किया जा सकता. पहली बार किसी मुद्दे पर विपक्ष मजबूत दिख रहा है. फैसले पर उठे सवालों पर संसद या और किसी बहस में तो बचा जा सकता है पर विधानसभा चुनावों के मद्देनजर जमीन पर काम कर रहे पार्टी कार्यकर्ताओं को इस फैसले से उपजे कैश संकट का खामियाजा भुगतना पड़ सकता है.

ऐसा भी लगता है कि प्रधानमंत्री ने नोटबंदी के फैसले को अपनी प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया है. जो भी हो वे इसे हर हाल में न्यायोचित ठहराएंगे चाहे इसके लिए कोई भी अव्यवहारिक कदम उठाना पड़े, भले ही उससे मौजूदा मुश्किलें हल होने के बजाय बढ़ ही क्यों न जाएं.

मोदी नाटकीयता और भव्यता पसंद करते हैं, इससे उनकी छवि को फायदा मिलता है. पर इस बार ऐसा लगता है कि स्थितियां उनके काबू से बाहर हो चुकी हैं. पर वे इसे स्वीकार नहीं करना चाहते जिसका नतीजा भविष्य में उनकी पार्टी को भुगतना पड़ सकता है.

Saturday, 29 October 2016

देश की सेना को मेरी तरफ से दीवाली की हार्दिक शुभकामनाएं

“देश की सेना के जवानों और नवजनों को मेरी तरफ से दीवाली की हार्दिक शुभकामनाएं और सभी को हैप्पी दीवाली.” 

पूर्वांचल विकास मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अजीत कुमार पाण्डेय  की तरफ से दीवाली की हार्दिक शुभकामनाएं
#Sandesh2Soldiers  #HappyDeepavali

Saturday, 17 September 2016

PM नरेंद्र मोदी को जन्मदिन की शुभकामनाएं

वैसे तो नरेंद्र मोदी किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं..  आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जन्‍मदिन है। इस दिन को लेकर उत्‍साह का माहौल है। सबसे पहले पूर्वांचल विकास मोर्चा की तरफ से मैं मोदी जी को हृदिक बधाई देता हूं।

नरेन्द्र मोदी भारत के 15 वें प्रधानमंत्री हैं, उनकी पहचान पूरे विश्व में है। मोदी भारत के सबसे लोकप्रिय नेता हैं और इसी कारण से उन्होंने 2014 के लोकसभा चुनाव में बहुत वोटों से जीत दर्ज की थी।

मोदी जी का जन्म भारत के गुजरात राज्य में हुआ था, शुरू से ही उन्हें अपनी मातृभूमि से लगाव था। मोदी के बारें मे कहा जाता है कि उन्होंने बाल्यअवस्था में ही विश्व से सबसे बड़े संगठन रास्ट्रीय स्वंयसेवक संघ से अपने को जोड़ लिया था।

मोदी जी का जीवन संघर्ष से भरा हुआ था, उनका जन्म गुजरात के वडनगर में हुआ था, उनके परिवार की हालत सही नहीं थी। गरीबी के उस जमानें में हमारे प्रधानमंत्री ने बहुत संघर्ष किया था, उन्होंने रेलवे स्टेशन पर चाय भी बेची थी। मोदी जी अपने पिता के आज्ञाकारी थे इसलिए उनका हाथ बंटाने के लिए और घर की हालत को सुधारने के लिए वे पिताजी के साथ चाय भी बेंचते थे।

Sunday, 14 August 2016

स्वतंत्रता दिवस के मौके पर हमारा संदेश

पूर्वांचल विकास मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अजीत कुमार पाण्डेय ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर सभी नागरिकों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं दी हैं। अपने संदेश में उन्होंने कहा कि इस महत्वपूर्ण अवसर पर हम उन बहादुर स्वतंत्रता सेनानियों को सलाम करते हैं जिनके साहस और बलिदान ने हमें दमनकारी औपनिवेशिक शासन से मुक्त कराया।

एक आधुनिक, धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक राज्य बनाने में उनकी नि: स्वार्थ सेवाओं के बलिदान के लिए हम अपने नए लोकतंत्र के निर्माताओं को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।

आइए, इस महत्वपूर्ण दिन को मनाने के साथ ही हम सभी एकजुट होकर और शांति, प्रगति और समृद्धि के रास्ते पर देश को आगे ले जाने के लिए सामूहिक रूप से काम करें"।

Wednesday, 18 May 2016

बिहार में ‘महागठबंधन’ के नेता कर रहे हैं अपराध

पूर्वांचल विकास मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अजीत कुमार पाण्डेय ने  बिहार में बढ़ रहे आपराध पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को निशाने पर लेते हुए कहा है कि सत्ताधारी दल के विधायक और उनके लोग ऐसी घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं।

उन्होंने कहा कि नीतीश की सुई शराबबंदी पर अटक गई है जबकि उन्हें अपराध बंदी करनी चाहिए। पाण्डेय ने तंज कसते हुए कहा कि शराब का नशा तो बंद करवा दिया लेकिन सत्ता का नशा बंद करके दिखाएं। वहां (बिहार) हो रही आपराधिक वारदात में सत्ता दल के विधायक और उनसे जुडे लोग शामिल हैं।
लोग शामिल हैं।
लोग शामिल हैं।
लोग शामिल हैं।

वहीं आजमगढ़ की घटना पर अजीत कुमार पाण्डेय ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार दलितों का उत्पीड़न कर रही है।

Tuesday, 22 March 2016

आपके पूरे परिवार को रंग भरी शुभकामनाएँ

पूर्वांचल विकास मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अजीत कुमार पाण्डेय ने रंगों के पर्व होली पर हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं दी हैं.
लाल रंग आपके गालों के लिए;
काला रंग आपके बालों के लिए;

नीला रंग आपकी आँखों के लिए;
पीला रंग आपके हाथों के लिए;

गुलाबी रंग आपके सपनों के लिए;
सफ़ेद रंग आपके मन के लिए;

हरा रंग आपके जीवन के लिए;
होली के इन सात रंगों के साथ;





Monday, 25 January 2016

गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं!

हमारा राष्ट्रीय ध्वज वर्तमान में जिस स्वरूप में दिख रहा है कि उसे बनने में कई साल लगे थे। जानिए कितने ध्वजों को बदलने के बाद सामने आया ‌था तिरंगा?स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पिंगली वेंकैया ने एक बार कांग्रेस अधिवेशन के दौरान महात्मा गांधी को भारत के राष्ट्रीय ध्वज के लिए सुझाव दिया। गांधी जी को ये विचार पसंद आया। वेंकैया ने पांच साल तक तीस देशों के ध्वजों पर रिसर्च की और साल 1921 में दो रंगों वाले लाल और हरे रंग के झंडे को पेश किया।जालंधर के हंसराज ने इसमें चक्र बनाने का सुझाव दिया था। गांधी जी कहने पर इसमें सफेद रंग भी जोड़ा गया। साल 1931 करांची के अखिल भारतीय सम्मेलन में केसरिया, सफेद और हरे रंग के साथ इस ध्वज फहराया गया। लेकिन इसके पहले भारत के कई ध्वज बन चुके हैं जो बाद में बदले गए। पहला राष्‍ट्रीय ध्‍वज 7 अगस्‍त 1906 को पारसी बागान चौक (ग्रीन पार्क) कलकत्ता में फहराया गया था जिसे अब कोलकाता कहते हैं। इस ध्‍वज को लाल, पीले और हरे रंग की क्षैतिज पट्टियों से बनाया गया था। दूसरे ध्‍वज को पेरिस में मैडम कामा और 1907 में उनके साथ निर्वासित किए गए कुछ क्रांतिकारियों ने फहराया था (कुछ के अनुसार 1905 में)। यह ध्‍वज बर्लिन में हुए समाजवादी सम्‍मेलन में भी फहराया गया था। तीसरा ध्‍वज 1917 में डॉ. एनी बिसेंट और लोकमान्‍य तिलक ने घरेलू शासन आंदोलन के दौरान फहराया। इस ध्‍वज में 5 लाल और 4 हरी क्षैतिज पट्टियां एक के बाद एक और सप्‍तऋषि के अभिविन्‍यास में इस पर बने सात सितारे थे। बांयी और ऊपरी किनारे पर (खंभे की ओर) यूनियन जैक था। एक कोने में सफेद अर्धचंद्र और सितारा भी था। साल 1931 ध्‍वज के इतिहास में एक यादगार साल है। तिरंगे ध्‍वज को हमारे राष्‍ट्रीय ध्‍वज के रूप में अपनाने के लिए एक प्रस्‍ताव पारित किया गया। यह ध्‍वज जो वर्तमान स्‍वरूप का पूर्वज है, केसरिया, सफेद और मध्‍य में गांधी जी के चलते हुए चरखे के साथ था। इस ध्वज यह दर्शाया गया कि इसका कोई साम्प्रदायिक महत्व नहीं है। तिरंगे के वर्तमान स्वरूप को 22 जुलाई 1947 में हुई संविधान सभा की बैठक में अपनाया गया।

Friday, 8 January 2016

#0ddEven पूरी तरह गैरकानूनी ये स्कीम केजरीवाल की सनक का नतीजा है

दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार की केंद्र सरकार से चल रही लड़ाई का खमियाजा तो दिल्ली के लोग भुगत ही रहे हैं, अब इस ऑड इवन योजना ने तो लोगों की नाक में दम कर रखा है।

पूरी तरह गैरकानूनी ये स्कीम केजरीवाल की सनक का नतीजा है जो यात्रा करने के अधिकार और निजी जीवन और आजादी के अधिकार का उल्लंघन करता है।

जिस मोटर व्हीकल एक्ट 115 के तहत स्कीम लाई गई वह पब्लिक सेफ्टी के लिए है और वायू प्रदूषण पब्लिक सेफ्टी में नहीं आता।

ये नोटिफिकेशन कानून के मुताबिक नहीं है, क्योंकि नियम के मुताबिक आप किसी को रजिस्ट्रेशन नंबर के आधार पर सडक पर चलने से रोक नहीं सकते।

पहली जनवरी से दिल्ली की सड़कों पर शुरू हुआ निजी कारों के सम-विषम अभियान के शुरुआती दिनों में वाहनों की रफ्तार कम दिखी। माना गया कि लोग साल के शुरू में छुट्टी मनाने दिल्ली से बाहर गए हैं।

ज्यादातर लोग तो दो हजार रुपए चालान और उसके बाद होने वाली जलालत से परेशान होने के डर से घर से कम निकले या निकले तो वैकल्पिक इंतजाम करके निकले। मुख्यमंत्री ने तो योजना शुरू होते ही दो घंटे में इसे सफल बता दिया।

प्रदूषण कम होने का दावा भी कर दिया गया। साल के आखिर से प्रदूषण कम होने की खबर आ ही रही है तो कम वाहन चलने पर उसमें कमी आना बड़ी बात नहीं है बड़ी बात तो यह लग रही है कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी इसे मुद्दा बना रही है कि उसने प्रदूषण कम करने के लिए कितना जोरदार अभियान चलाया।