प्रधानमंत्री मनोहन सिंह भी छत्तीसगढ़ में हुए
कांग्रेसी नेताओं के कत्लेआम से बहुत आहत है. आमतौर पर बहुत कम बोलनेवाले
मनमोहन सिंह रविवार को रायपुर के राजभवन में गृहराज्यमंत्री की मौजूदगी में
अधिकारियों की बैठक में कुछ ऐसा बोल गये कि बाकी लोगों की बोलती बंद हो गई
और राजभवन में बुलाई गई बैठक खत्म कर दी गई.
बैठक के दौरान मनमोहन सिंह ने अधिकारियों से सवाल कर लिया कि
"इसके लिए कौन जिम्मेदार है?" मनमोहन सिंह ने जब यह जानना चाहा कि इतनी
बड़ी घटना को अंजाम दे दिया गया और किसी को भनक तक नहीं लगी तो अधिकारियों
को सांप सूंघ गया. किसी के पास प्रधानमंत्री के इस सवाल का कोई जवाब नहीं
था. इसके बाद बैठक खत्म क दी गई.असल में प्रधानमंत्री ने जो सवाल किया वही इस घटना के बाद का सबसे बड़ा सवाल बना हुआ है कि नक्सलियों ने इतनी बड़ी घटना को अंजाम दे दिया और प्रशासन को कानोकान खबर तक न हुई. खुफिया एजंसियों को इस बात की बिल्कुल भनक क्यों नहीं लगी? जानकार बताते हैं कि इतनी बड़ी घटना को अंजाम देने के लिए नक्सलियों ने बड़े पैमाने पर पहल की होगी और मोबलाइजेशन किया होगा. आखिर क्या कारण है कि राज्य सरकार को इतने बड़े मोबलाइजेशन की भनक तक नहीं लगी. बताते हैं कि शनिवार को जिस वक्त कांग्रेसी नेताओं के इस कत्लेआम को अंजाम दिया गया उस वक्त खुद मुख्यमंत्री रमन सिंह अपनी यात्रा पर थे. शाम को चार सवा चार बजे की सभा खत्म करने के बाद मुख्यमंत्री रमन सिंह अपने वाहन में पहुंचे तो उन्हें कुछ ऐसा पता चला कि उनके होश उड़ गये. तत्काल उन्होंने आगे की सभी सभाएं निरस्त कर दी और रायपुर के लिए वापस लौट गये.
मुख्यमंत्री रमन सिंह पर आरोप लग रहा है कि उनकी यात्राओं के लिए तो सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये गये हैं लेकिन कांग्रेसी नेताओं द्वारा की जा कही परिवर्तन यात्रा की सुरक्षा व्यवस्था का कोई खास इंतजाम नहीं किया गया था. सवाल नाजायज नहीं है. लेकिन बीते कुछ महीनों से जिस तरह से मक्सली वारदातों में कमी आई थी उससे प्रशासन भी संभवत: थोड़ा सुस्त हो गया था और रमन सिंह भी बंदूक की बजाय बातचीत से समाधान निकालने की बात करने लगे थे.
लेकिन अब इस घटना के बाद केन्द्र जिस तरह से बौखलाया है उससे बोली पर बंदूकों की गोली का भारी पड़ना तय है. खुद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी यही कहा है कि दोषियों को किसी भी कीमत पर नहीं छोड़ा जाएगा.
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