बेनकाब चेहरे हैं, दाग बड़े गहरे हैं
टूटता तिलिस्म आज सच से भय खाता हूं... गीत नहीं गाता हूं
लगी कुछ ऐसी नज़र बिखरा शीशे सा शहर
अपनों के मेले में मीत नहीं पाता हूं
गीत नहीं गाता हूं
पीठ मे छुरी सा चांद, राहू गया रेखा फांद
मुक्ति के क्षणों में बार बार बंध जाता हूं
गीत नहीं गाता हूं
पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के जन्मदिन पर उन्हें बधाई
साल 2014 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को जन्मदिन का बेशकीमती तोहफा मिला. यह तोहफा था देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'भारत रत्न' से सम्मानित किए जाने का ऐलान.
टूटता तिलिस्म आज सच से भय खाता हूं... गीत नहीं गाता हूं
लगी कुछ ऐसी नज़र बिखरा शीशे सा शहर
अपनों के मेले में मीत नहीं पाता हूं
गीत नहीं गाता हूं
पीठ मे छुरी सा चांद, राहू गया रेखा फांद
मुक्ति के क्षणों में बार बार बंध जाता हूं
गीत नहीं गाता हूं
पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के जन्मदिन पर उन्हें बधाई
साल 2014 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को जन्मदिन का बेशकीमती तोहफा मिला. यह तोहफा था देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'भारत रत्न' से सम्मानित किए जाने का ऐलान.
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