केंद्र सरकार भले ही पेट्रोल की खपत रोकने के लिए नए-नए सुझावों पर विचार कर रही है, लेकिन तेल की सरकारी फ़िज़ूलख़र्ची पर लगाम नहीं लगा पा रही है. सरकार के पास अधिकारियों के पेट्रोल ख़र्च में कटौती का कोई आइडिया नहीं है. दिल्ली में रहने वाले मंत्रियों, सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों का साल भर के पेट्रोल, डीजल बिल करीब 3 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच गया है. मंत्रियों, सरकारी अधिकारियों के तेल खपत के आंकड़े सरकार अलग से जारी नहीं करते. इनको ऑफ़िस खर्च में शामिल माना जाता है.
टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक 2011-12 में केंद्र सरकार के मंत्रियों और अधिकारियों का ऑफ़िस खर्च करीब 5 हजार 2 सौ करोड़ रुपये रहा, जिनमें स्टेशनरी से लेकर ऑफ़िस का चाय-पानी तक शामिल है, लेकिन इनमें ज्यादातर हिस्सा पेट्रोल-डीजल का है. दिल्ली में केंद्र सरकार के मंत्रियों के अलावा सचिव स्तर के 70 अधिकारियों, 131 एडिशनल सेक्रेटरी, 525 ज्वाइंट सेक्रेटरी और एक हजार दो सौ डायरेक्टर्स को सरकारी कारें मिली हुई हैं. अगर इनको करीब 200 लीटर पेट्रोल हर महीने मिलता है तो सिर्फ दिल्ली में केंद्र सरकार और उनके मातहत हर महीने 2 लाख 65 हजार लीटर पेट्रोल फूंक रहे हैं.
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