कभी जातीय आधार पर टिकट बंटवारे से इनकार करने वाले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार फिलवक्त अपने ही स्थापित मूल्यों से डिगते नजर आ रहे हैं. अब यह कहा जाने लगा है कि नीतीश कुमार की राजनीति ही नहीं, बल्कि अफसरशाही भी जातीय चक्रव्यूह में फंस गई है. सरकार और प्रशासन में जातीय समीकरण के आधार पर मनोनयन और पदस्थापन से तो ऐसा ही संकेत मिल रहा है. हाल ही में बिहार विधान सभा में उपाध्यक्ष और विधान परिषद में सभापति के पद पर क्रमश: अमरेन्द्र प्रताप सिंह और अवधेश नारायण सिंह के मनोनयन(चुनाव)को जातीय समीकरण के आधार पर ही देखा जा रहा है. वोट बैंक समीकरण के लिहाज से राजपूतों को तुष्ट करने की कार्रवाई भी इसे करार दिया जा रहा है. एक कयास यह भी लगाया जा रहा है कि चीफ सेक्रेटरी के पद पर ए के सिन्हा की नियुक्ति से भूमिहारों को यह संदेश दिया गया है कि सरकार उन्हें तवज्जो दे रही है. दूसरी ओर यह आशंका भी है कि अब डीजीपी अभयानंद की विदाई तय है. सरकार इसके लिए लचर होती विधि-व्यवस्था को बहाना बना सकती है. पर्दे के पीछे की हकीकत यह है कि मुख्य सचिव और डीजीपी दोनों की एक ही जाति (भूमिहार) है. और एक साथ इन दोनों महत्वपूर्ण पदों पर एक जाति की तैनाती का चलन आमतौर पर नहीं रहा है.
यह भी संभव है कि अभयानंद को अभी डीजीपी के पद पर कायम रखा जाए. इस दौरान ठोस विकल्प की तलाश भी जारी रहे.दूसरा तर्क यह भी है कि जातीय लोकप्रियता का अगर आकलन किया जाए तो ए के सिन्हा की तुलना में अभयानंद ज्यादा लोकप्रिय हैं. शायद ए के सिन्हा की कीमत पर अभयानंद की विदाई को भूमिहार समाज पसंद नहीं करे.जानकारों की मानें तो ब्रह्मेश्वर मुखिया की हत्या के बाद से यह समाज या इसका कुछ हिस्सा सरकार से थोड़ा नाराज चल रहा है. ऐसे में अभयानंद की जल्द ही छुट्टी हो जाएगी, इससे अनेक लोगों की सहमति नहीं बन रही है. हाल की कई आपराधिक घटनाओं को लेकर सरकार की किरकिरी हुई है.
यह भी संभव है कि अभयानंद को अभी डीजीपी के पद पर कायम रखा जाए. इस दौरान ठोस विकल्प की तलाश भी जारी रहे.दूसरा तर्क यह भी है कि जातीय लोकप्रियता का अगर आकलन किया जाए तो ए के सिन्हा की तुलना में अभयानंद ज्यादा लोकप्रिय हैं. शायद ए के सिन्हा की कीमत पर अभयानंद की विदाई को भूमिहार समाज पसंद नहीं करे.जानकारों की मानें तो ब्रह्मेश्वर मुखिया की हत्या के बाद से यह समाज या इसका कुछ हिस्सा सरकार से थोड़ा नाराज चल रहा है. ऐसे में अभयानंद की जल्द ही छुट्टी हो जाएगी, इससे अनेक लोगों की सहमति नहीं बन रही है. हाल की कई आपराधिक घटनाओं को लेकर सरकार की किरकिरी हुई है.
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