आजकल हम लोगों के लिए 15 अगस्त एक छुट्टी मात्र ही तो रह गया है। इस दिन हम स्वतंत्रता दिवस मनाते हैं और बाकी पूरे साले उस आज़ादी का दुरूपयोग करते हैं।
कहीं सुना था कि 68 साल में क्या बदला। कुछ ख़ास नहीं पहले अँगरेज़ यहां से पैसा लूट कर विदेश ले जाते थे और आज हम खुद अपना धन लूट कर विदेशों में जमा करते हैं। हमारे देश का कड़वा सत्य यही है कि यहां देशप्रेम सिर्फ किताबों और फिल्मों में ही दिखता है।
चाहे रिश्वत देना हो या लेना, सड़क पर चलना हो या थूकना, दो सेकंड में किसी की भी माता जी और बहन जी तक पहुँच जाना, दंगे कराना और उसके मज़े लेना, बलात्कारियों में धर्म ढून्ढ लेना ये है हमारा और आपका आज़ाद भारत।
ऑस्ट्रेलिया में 90 टन की ट्रेन को 50-60 लोग मिलकर झुका देते हैं ताकि एक आदमी की जिंदगी बच जाए और यहां हज़रत निजामुद्दीन पर एक आदमी 40 टन की ट्रेन के नीचे डेढ़ घंटे फंसे रहने के बाद मर जाता है।
अरे हमारा बस चले तो सड़क चलते आदमी के ऊपर ही गाडी चढ़ा दें। क्या ये वही सपनों का भारत है जो आज से 67 साल पहले देखा गया था? कब तक हम आर्यभट्ट के '0' को रोते रहेंगे।
कब तक अपनी संस्कृति की दुहाई देते रहेंगे। आज का भारत क्या सच में आज़ाद भारत है? इतने प्रयासों, मुश्किलों और बलिदानों के बाद मिली इस आज़ादी की क़द्र होनी चाहिए मुझे। मुझे सच में गर्व होना चाहिए हिन्दुस्तानी होने पर और हिन्दुस्तानियोंके बीच रहने पर।
मेरी और आपकी, हम सबकी कुछ छोटी-छोटी जिम्मेदारियाँ हैं इस देश के प्रति। एक बार जरा सोचियेगा जरूर क्योंकि सिर्फ नेता नहीं चलाते देश हम सब भी उसके सहभागी हैं!
जय हिन्द! जय भारत!
अजीत कुमार पाण्डेय
राष्टीय अध्यक्ष, पूर्वांचल विकास मोर्चा
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कहीं सुना था कि 68 साल में क्या बदला। कुछ ख़ास नहीं पहले अँगरेज़ यहां से पैसा लूट कर विदेश ले जाते थे और आज हम खुद अपना धन लूट कर विदेशों में जमा करते हैं। हमारे देश का कड़वा सत्य यही है कि यहां देशप्रेम सिर्फ किताबों और फिल्मों में ही दिखता है।
चाहे रिश्वत देना हो या लेना, सड़क पर चलना हो या थूकना, दो सेकंड में किसी की भी माता जी और बहन जी तक पहुँच जाना, दंगे कराना और उसके मज़े लेना, बलात्कारियों में धर्म ढून्ढ लेना ये है हमारा और आपका आज़ाद भारत।
ऑस्ट्रेलिया में 90 टन की ट्रेन को 50-60 लोग मिलकर झुका देते हैं ताकि एक आदमी की जिंदगी बच जाए और यहां हज़रत निजामुद्दीन पर एक आदमी 40 टन की ट्रेन के नीचे डेढ़ घंटे फंसे रहने के बाद मर जाता है।
अरे हमारा बस चले तो सड़क चलते आदमी के ऊपर ही गाडी चढ़ा दें। क्या ये वही सपनों का भारत है जो आज से 67 साल पहले देखा गया था? कब तक हम आर्यभट्ट के '0' को रोते रहेंगे।
कब तक अपनी संस्कृति की दुहाई देते रहेंगे। आज का भारत क्या सच में आज़ाद भारत है? इतने प्रयासों, मुश्किलों और बलिदानों के बाद मिली इस आज़ादी की क़द्र होनी चाहिए मुझे। मुझे सच में गर्व होना चाहिए हिन्दुस्तानी होने पर और हिन्दुस्तानियोंके बीच रहने पर।
मेरी और आपकी, हम सबकी कुछ छोटी-छोटी जिम्मेदारियाँ हैं इस देश के प्रति। एक बार जरा सोचियेगा जरूर क्योंकि सिर्फ नेता नहीं चलाते देश हम सब भी उसके सहभागी हैं!
जय हिन्द! जय भारत!
अजीत कुमार पाण्डेय
राष्टीय अध्यक्ष, पूर्वांचल विकास मोर्चा
सभी देश वासियों को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई
एवं शुभकामनायें
आजकल हम लोगों के लिए 15 अगस्त एक छुट्टी मात्र ही तो रह गया है। इस दिन हम
स्वतंत्रता दिवस मनाते हैं और बाकी पूरे साले उस आज़ादी का दुरूपयोग करते
हैं। कहीं सुना था कि 68 साल में क्या बदला। कुछ ख़ास नहीं पहले अँगरेज़ यहां
से पैसा लूट कर विदेश ले जाते थे और आज हम खुद अपना धन लूट कर विदेशों में
जमा करते हैं। हमारे देश का कड़वा सत्य यही है कि यहां देशप्रेम सिर्फ
किताबों और फिल्मों में ही दिखता है। चाहे रिश्वत देना हो या लेना, सड़क पर
चलना हो या थूकना, दो सेकंड में किसी की भी माता जी और बहन जी तक पहुँच
जाना, दंगे कराना और उसके मज़े लेना, बलात्कारियों में धर्म ढून्ढ लेना ये
है हमारा और आपका आज़ाद भारत। ऑस्ट्रेलिया में 90 टन की ट्रेन को 50-60 लोग
मिलकर झुका देते हैं ताकि एक आदमी की जिंदगी बच जाए और यहां हज़रत
निजामुद्दीन पर एक आदमी 40 टन की ट्रेन के नीचे डेढ़ घंटे फंसे रहने के बाद
मर जाता है। अरे हमारा बस चले तो सड़क चलते आदमी के ऊपर ही गाडी चढ़ा दें।
क्या ये वही सपनों का भारत है जो आज से 67 साल पहले देखा गया था? कब तक हम
आर्यभट्ट के '0' को रोते रहेंगे। कब तक अपनी संस्कृति की दुहाई देते
रहेंगे। आज का भारत क्या सच में आज़ाद भारत है? इतने प्रयासों, मुश्किलों और
बलिदानों के बाद मिली इस आज़ादी की क़द्र होनी चाहिए मुझे। मुझे सच में गर्व
होना चाहिए हिन्दुस्तानी होने पर और हिन्दुस्तानियोंके बीच रहने पर। मेरी
और आपकी, हम सबकी कुछ छोटी-छोटी जिम्मेदारियाँ हैं इस देश के प्रति। एक बार
जरा सोचियेगा जरूर क्योंकि सिर्फ नेता नहीं चलाते देश हम सब भी उसके
सहभागी हैं!
जय हिन्द! जय भारत!
सभी देश वासियों को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई
एवं शुभकामनायें
आजकल हम लोगों के लिए 15 अगस्त एक छुट्टी मात्र ही तो रह गया है। इस दिन हम
स्वतंत्रता दिवस मनाते हैं और बाकी पूरे साले उस आज़ादी का दुरूपयोग करते
हैं। कहीं सुना था कि 68 साल में क्या बदला। कुछ ख़ास नहीं पहले अँगरेज़ यहां
से पैसा लूट कर विदेश ले जाते थे और आज हम खुद अपना धन लूट कर विदेशों में
जमा करते हैं। हमारे देश का कड़वा सत्य यही है कि यहां देशप्रेम सिर्फ
किताबों और फिल्मों में ही दिखता है। चाहे रिश्वत देना हो या लेना, सड़क पर
चलना हो या थूकना, दो सेकंड में किसी की भी माता जी और बहन जी तक पहुँच
जाना, दंगे कराना और उसके मज़े लेना, बलात्कारियों में धर्म ढून्ढ लेना ये
है हमारा और आपका आज़ाद भारत। ऑस्ट्रेलिया में 90 टन की ट्रेन को 50-60 लोग
मिलकर झुका देते हैं ताकि एक आदमी की जिंदगी बच जाए और यहां हज़रत
निजामुद्दीन पर एक आदमी 40 टन की ट्रेन के नीचे डेढ़ घंटे फंसे रहने के बाद
मर जाता है। अरे हमारा बस चले तो सड़क चलते आदमी के ऊपर ही गाडी चढ़ा दें।
क्या ये वही सपनों का भारत है जो आज से 67 साल पहले देखा गया था? कब तक हम
आर्यभट्ट के '0' को रोते रहेंगे। कब तक अपनी संस्कृति की दुहाई देते
रहेंगे। आज का भारत क्या सच में आज़ाद भारत है? इतने प्रयासों, मुश्किलों और
बलिदानों के बाद मिली इस आज़ादी की क़द्र होनी चाहिए मुझे। मुझे सच में गर्व
होना चाहिए हिन्दुस्तानी होने पर और हिन्दुस्तानियोंके बीच रहने पर। मेरी
और आपकी, हम सबकी कुछ छोटी-छोटी जिम्मेदारियाँ हैं इस देश के प्रति। एक बार
जरा सोचियेगा जरूर क्योंकि सिर्फ नेता नहीं चलाते देश हम सब भी उसके
सहभागी हैं!
जय हिन्द! जय भारत!
सभी देश वासियों को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई
एवं शुभकामनायें
आजकल हम लोगों के लिए 15 अगस्त एक छुट्टी मात्र ही तो रह गया है। इस दिन हम
स्वतंत्रता दिवस मनाते हैं और बाकी पूरे साले उस आज़ादी का दुरूपयोग करते
हैं। कहीं सुना था कि 68 साल में क्या बदला। कुछ ख़ास नहीं पहले अँगरेज़ यहां
से पैसा लूट कर विदेश ले जाते थे और आज हम खुद अपना धन लूट कर विदेशों में
जमा करते हैं। हमारे देश का कड़वा सत्य यही है कि यहां देशप्रेम सिर्फ
किताबों और फिल्मों में ही दिखता है। चाहे रिश्वत देना हो या लेना, सड़क पर
चलना हो या थूकना, दो सेकंड में किसी की भी माता जी और बहन जी तक पहुँच
जाना, दंगे कराना और उसके मज़े लेना, बलात्कारियों में धर्म ढून्ढ लेना ये
है हमारा और आपका आज़ाद भारत। ऑस्ट्रेलिया में 90 टन की ट्रेन को 50-60 लोग
मिलकर झुका देते हैं ताकि एक आदमी की जिंदगी बच जाए और यहां हज़रत
निजामुद्दीन पर एक आदमी 40 टन की ट्रेन के नीचे डेढ़ घंटे फंसे रहने के बाद
मर जाता है। अरे हमारा बस चले तो सड़क चलते आदमी के ऊपर ही गाडी चढ़ा दें।
क्या ये वही सपनों का भारत है जो आज से 67 साल पहले देखा गया था? कब तक हम
आर्यभट्ट के '0' को रोते रहेंगे। कब तक अपनी संस्कृति की दुहाई देते
रहेंगे। आज का भारत क्या सच में आज़ाद भारत है? इतने प्रयासों, मुश्किलों और
बलिदानों के बाद मिली इस आज़ादी की क़द्र होनी चाहिए मुझे। मुझे सच में गर्व
होना चाहिए हिन्दुस्तानी होने पर और हिन्दुस्तानियोंके बीच रहने पर। मेरी
और आपकी, हम सबकी कुछ छोटी-छोटी जिम्मेदारियाँ हैं इस देश के प्रति। एक बार
जरा सोचियेगा जरूर क्योंकि सिर्फ नेता नहीं चलाते देश हम सब भी उसके
सहभागी हैं!
जय हिन्द! जय भारत!
सभी देश वासियों को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई
एवं शुभकामनायें
आजकल हम लोगों के लिए 15 अगस्त एक छुट्टी मात्र ही तो रह गया है। इस दिन हम
स्वतंत्रता दिवस मनाते हैं और बाकी पूरे साले उस आज़ादी का दुरूपयोग करते
हैं। कहीं सुना था कि 68 साल में क्या बदला। कुछ ख़ास नहीं पहले अँगरेज़ यहां
से पैसा लूट कर विदेश ले जाते थे और आज हम खुद अपना धन लूट कर विदेशों में
जमा करते हैं। हमारे देश का कड़वा सत्य यही है कि यहां देशप्रेम सिर्फ
किताबों और फिल्मों में ही दिखता है। चाहे रिश्वत देना हो या लेना, सड़क पर
चलना हो या थूकना, दो सेकंड में किसी की भी माता जी और बहन जी तक पहुँच
जाना, दंगे कराना और उसके मज़े लेना, बलात्कारियों में धर्म ढून्ढ लेना ये
है हमारा और आपका आज़ाद भारत। ऑस्ट्रेलिया में 90 टन की ट्रेन को 50-60 लोग
मिलकर झुका देते हैं ताकि एक आदमी की जिंदगी बच जाए और यहां हज़रत
निजामुद्दीन पर एक आदमी 40 टन की ट्रेन के नीचे डेढ़ घंटे फंसे रहने के बाद
मर जाता है। अरे हमारा बस चले तो सड़क चलते आदमी के ऊपर ही गाडी चढ़ा दें।
क्या ये वही सपनों का भारत है जो आज से 67 साल पहले देखा गया था? कब तक हम
आर्यभट्ट के '0' को रोते रहेंगे। कब तक अपनी संस्कृति की दुहाई देते
रहेंगे। आज का भारत क्या सच में आज़ाद भारत है? इतने प्रयासों, मुश्किलों और
बलिदानों के बाद मिली इस आज़ादी की क़द्र होनी चाहिए मुझे। मुझे सच में गर्व
होना चाहिए हिन्दुस्तानी होने पर और हिन्दुस्तानियोंके बीच रहने पर। मेरी
और आपकी, हम सबकी कुछ छोटी-छोटी जिम्मेदारियाँ हैं इस देश के प्रति। एक बार
जरा सोचियेगा जरूर क्योंकि सिर्फ नेता नहीं चलाते देश हम सब भी उसके
सहभागी हैं!
जय हिन्द! जय भारत!
सभी देश वासियों को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई
एवं शुभकामनायें
आजकल हम लोगों के लिए 15 अगस्त एक छुट्टी मात्र ही तो रह गया है। इस दिन हम
स्वतंत्रता दिवस मनाते हैं और बाकी पूरे साले उस आज़ादी का दुरूपयोग करते
हैं। कहीं सुना था कि 68 साल में क्या बदला। कुछ ख़ास नहीं पहले अँगरेज़ यहां
से पैसा लूट कर विदेश ले जाते थे और आज हम खुद अपना धन लूट कर विदेशों में
जमा करते हैं। हमारे देश का कड़वा सत्य यही है कि यहां देशप्रेम सिर्फ
किताबों और फिल्मों में ही दिखता है। चाहे रिश्वत देना हो या लेना, सड़क पर
चलना हो या थूकना, दो सेकंड में किसी की भी माता जी और बहन जी तक पहुँच
जाना, दंगे कराना और उसके मज़े लेना, बलात्कारियों में धर्म ढून्ढ लेना ये
है हमारा और आपका आज़ाद भारत। ऑस्ट्रेलिया में 90 टन की ट्रेन को 50-60 लोग
मिलकर झुका देते हैं ताकि एक आदमी की जिंदगी बच जाए और यहां हज़रत
निजामुद्दीन पर एक आदमी 40 टन की ट्रेन के नीचे डेढ़ घंटे फंसे रहने के बाद
मर जाता है। अरे हमारा बस चले तो सड़क चलते आदमी के ऊपर ही गाडी चढ़ा दें।
क्या ये वही सपनों का भारत है जो आज से 67 साल पहले देखा गया था? कब तक हम
आर्यभट्ट के '0' को रोते रहेंगे। कब तक अपनी संस्कृति की दुहाई देते
रहेंगे। आज का भारत क्या सच में आज़ाद भारत है? इतने प्रयासों, मुश्किलों और
बलिदानों के बाद मिली इस आज़ादी की क़द्र होनी चाहिए मुझे। मुझे सच में गर्व
होना चाहिए हिन्दुस्तानी होने पर और हिन्दुस्तानियोंके बीच रहने पर। मेरी
और आपकी, हम सबकी कुछ छोटी-छोटी जिम्मेदारियाँ हैं इस देश के प्रति। एक बार
जरा सोचियेगा जरूर क्योंकि सिर्फ नेता नहीं चलाते देश हम सब भी उसके
सहभागी हैं!
जय हिन्द! जय भारत!
सभी देश वासियों को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई
एवं शुभकामनायें
आजकल हम लोगों के लिए 15 अगस्त एक छुट्टी मात्र ही तो रह गया है। इस दिन हम
स्वतंत्रता दिवस मनाते हैं और बाकी पूरे साले उस आज़ादी का दुरूपयोग करते
हैं। कहीं सुना था कि 68 साल में क्या बदला। कुछ ख़ास नहीं पहले अँगरेज़ यहां
से पैसा लूट कर विदेश ले जाते थे और आज हम खुद अपना धन लूट कर विदेशों में
जमा करते हैं। हमारे देश का कड़वा सत्य यही है कि यहां देशप्रेम सिर्फ
किताबों और फिल्मों में ही दिखता है। चाहे रिश्वत देना हो या लेना, सड़क पर
चलना हो या थूकना, दो सेकंड में किसी की भी माता जी और बहन जी तक पहुँच
जाना, दंगे कराना और उसके मज़े लेना, बलात्कारियों में धर्म ढून्ढ लेना ये
है हमारा और आपका आज़ाद भारत। ऑस्ट्रेलिया में 90 टन की ट्रेन को 50-60 लोग
मिलकर झुका देते हैं ताकि एक आदमी की जिंदगी बच जाए और यहां हज़रत
निजामुद्दीन पर एक आदमी 40 टन की ट्रेन के नीचे डेढ़ घंटे फंसे रहने के बाद
मर जाता है। अरे हमारा बस चले तो सड़क चलते आदमी के ऊपर ही गाडी चढ़ा दें।
क्या ये वही सपनों का भारत है जो आज से 67 साल पहले देखा गया था? कब तक हम
आर्यभट्ट के '0' को रोते रहेंगे। कब तक अपनी संस्कृति की दुहाई देते
रहेंगे। आज का भारत क्या सच में आज़ाद भारत है? इतने प्रयासों, मुश्किलों और
बलिदानों के बाद मिली इस आज़ादी की क़द्र होनी चाहिए मुझे। मुझे सच में गर्व
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और आपकी, हम सबकी कुछ छोटी-छोटी जिम्मेदारियाँ हैं इस देश के प्रति। एक बार
जरा सोचियेगा जरूर क्योंकि सिर्फ नेता नहीं चलाते देश हम सब भी उसके
सहभागी हैं!
जय हिन्द! जय भारत!
सभी देश वासियों को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई
एवं शुभकामनायें
आजकल हम लोगों के लिए 15 अगस्त एक छुट्टी मात्र ही तो रह गया है। इस दिन हम
स्वतंत्रता दिवस मनाते हैं और बाकी पूरे साले उस आज़ादी का दुरूपयोग करते
हैं। कहीं सुना था कि 68 साल में क्या बदला। कुछ ख़ास नहीं पहले अँगरेज़ यहां
से पैसा लूट कर विदेश ले जाते थे और आज हम खुद अपना धन लूट कर विदेशों में
जमा करते हैं। हमारे देश का कड़वा सत्य यही है कि यहां देशप्रेम सिर्फ
किताबों और फिल्मों में ही दिखता है। चाहे रिश्वत देना हो या लेना, सड़क पर
चलना हो या थूकना, दो सेकंड में किसी की भी माता जी और बहन जी तक पहुँच
जाना, दंगे कराना और उसके मज़े लेना, बलात्कारियों में धर्म ढून्ढ लेना ये
है हमारा और आपका आज़ाद भारत। ऑस्ट्रेलिया में 90 टन की ट्रेन को 50-60 लोग
मिलकर झुका देते हैं ताकि एक आदमी की जिंदगी बच जाए और यहां हज़रत
निजामुद्दीन पर एक आदमी 40 टन की ट्रेन के नीचे डेढ़ घंटे फंसे रहने के बाद
मर जाता है। अरे हमारा बस चले तो सड़क चलते आदमी के ऊपर ही गाडी चढ़ा दें।
क्या ये वही सपनों का भारत है जो आज से 67 साल पहले देखा गया था? कब तक हम
आर्यभट्ट के '0' को रोते रहेंगे। कब तक अपनी संस्कृति की दुहाई देते
रहेंगे। आज का भारत क्या सच में आज़ाद भारत है? इतने प्रयासों, मुश्किलों और
बलिदानों के बाद मिली इस आज़ादी की क़द्र होनी चाहिए मुझे। मुझे सच में गर्व
होना चाहिए हिन्दुस्तानी होने पर और हिन्दुस्तानियोंके बीच रहने पर। मेरी
और आपकी, हम सबकी कुछ छोटी-छोटी जिम्मेदारियाँ हैं इस देश के प्रति। एक बार
जरा सोचियेगा जरूर क्योंकि सिर्फ नेता नहीं चलाते देश हम सब भी उसके
सहभागी हैं!
जय हिन्द! जय भारत!
सभी देश वासियों को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई
एवं शुभकामनायें
आजकल हम लोगों के लिए 15 अगस्त एक छुट्टी मात्र ही तो रह गया है। इस दिन हम
स्वतंत्रता दिवस मनाते हैं और बाकी पूरे साले उस आज़ादी का दुरूपयोग करते
हैं। कहीं सुना था कि 68 साल में क्या बदला। कुछ ख़ास नहीं पहले अँगरेज़ यहां
से पैसा लूट कर विदेश ले जाते थे और आज हम खुद अपना धन लूट कर विदेशों में
जमा करते हैं। हमारे देश का कड़वा सत्य यही है कि यहां देशप्रेम सिर्फ
किताबों और फिल्मों में ही दिखता है। चाहे रिश्वत देना हो या लेना, सड़क पर
चलना हो या थूकना, दो सेकंड में किसी की भी माता जी और बहन जी तक पहुँच
जाना, दंगे कराना और उसके मज़े लेना, बलात्कारियों में धर्म ढून्ढ लेना ये
है हमारा और आपका आज़ाद भारत। ऑस्ट्रेलिया में 90 टन की ट्रेन को 50-60 लोग
मिलकर झुका देते हैं ताकि एक आदमी की जिंदगी बच जाए और यहां हज़रत
निजामुद्दीन पर एक आदमी 40 टन की ट्रेन के नीचे डेढ़ घंटे फंसे रहने के बाद
मर जाता है। अरे हमारा बस चले तो सड़क चलते आदमी के ऊपर ही गाडी चढ़ा दें।
क्या ये वही सपनों का भारत है जो आज से 67 साल पहले देखा गया था? कब तक हम
आर्यभट्ट के '0' को रोते रहेंगे। कब तक अपनी संस्कृति की दुहाई देते
रहेंगे। आज का भारत क्या सच में आज़ाद भारत है? इतने प्रयासों, मुश्किलों और
बलिदानों के बाद मिली इस आज़ादी की क़द्र होनी चाहिए मुझे। मुझे सच में गर्व
होना चाहिए हिन्दुस्तानी होने पर और हिन्दुस्तानियोंके बीच रहने पर। मेरी
और आपकी, हम सबकी कुछ छोटी-छोटी जिम्मेदारियाँ हैं इस देश के प्रति। एक बार
जरा सोचियेगा जरूर क्योंकि सिर्फ नेता नहीं चलाते देश हम सब भी उसके
सहभागी हैं!
जय हिन्द! जय भारत!