अभी तो बहुत काम बाकी था मुंडे साहब!
महाराष्ट्र के लाल का असमय जाना
प्रतिभा से मुंडे जी ने तय किया जमीन से आस्मां का सफर
महाराष्ट्र की राजनीति में छाया शून्य
एक पल को लगा कि यह समय थम सा गया जब मैंने सुना कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता गोपीनाथ मुंडे का निधन हो गया। महाराष्ट्र के इस ऊर्जावान नेता की दिल्ली के एयरपोर्ट जाते समय एक दुर्घटना के बाद दिल का दौरा पड़ने से मृत्यु हो गई।
महाराष्ट्र राज्य से आने वाले मुंडे साहब को उनकी विशेष प्रतिभा के कारण पीएम नरेंद्र मोदी ने अपने मंत्रिमंडल में जगह दी। यहां पर उनको केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री बनाकर पीएम ने यह जिम्मेदारी दी कि वह गांवों का विकास करें। क्योंकि पीएम साहब जानते हैं कि देश की तरक्की तभी हो सकती जब गांवों का विकास किया जाए। इस काम के लिए मुंडे साहब बेहद काबिल व्यक्ति थे। वह महाराष्ट्र के मराठवाड़ा से आते हैं। महाराष्ट्र में हमने देखा कि विगत समय में किसानों ने सबसे अधिक आत्महत्या की। दरअसल, मुंडे साहब लोगों की नब्ज पकड़ने के लिए जाने जाते थे। वह जानते थे कि कैसे देश के गांवों की बीमारू हालात को सही करके देश को विकास के पथ पर अग्रसर करना है।
बेहद साधारण परिवार में जन्मे गोपीनाथ जी ने अपनी क्षमता के बल पर यह मुकाम हासिल किया। वह भाजपा के अन्य पिछड़ा वर्ग के सशक्त नेता के रूप में विख्यात थे। वह ऐसे नेता थे जो कि कार्यकर्ताओं में काफी लोकप्रिय और काम करने के लिए सदैव आतुर दिखते थे। महाराष्ट्र की राजनीति में मुंडे बीजेपी के लिए संकटमोटचक की तरह थे। वह शिवसेना के साथ अपने रिश्ते मधुर करने के लिए जाने जाते थे। शिवसेना बीजेपी की सबसे पुरानी सहयोगी है, इसलिए उसकी अपेक्षाए भी गाहें बगाहें सामने आ जाती थी। इन अपेक्षाओं को किस तरह से विवाद में पड़ने से बचाना है, इस काम को मुंडे साहब बखूबी किया करते थे। इसलिए उनके जितने मित्र बीजेपी में है। उतने ही करीब दूसरी पार्टियों में है। महाराष्ट्र की राजनिति में मुंडे बीजेपी की धुरी थे। वह शांत स्वभाव के थे और कार्यकर्ताओं के साथ जमीनी स्तर पर काम करते थे।
मुंडे जी ने भाजपा के दिवंगत नेता प्रमोद महाजन की छत्रछाया में महाराष्ट्र की राजनीति में एक के बाद एक उपलब्धियां हासिल कीं। उनका विवाह प्रमोद महाजन की बहन के साथ हुआ था। प्रमोद ने केंद्र में पार्टी की अगुवाई की तो मुंडे साहब ने महाराष्ट्र राज्य में पार्टी के लिए सच्ची श्रद्धा के साथ काम किया। इसका इनाम उन्हें वक्त-2 पर मिलता रहा। उनको पार्टी ने हमेशा तरक्की दी और कुछ लोग यह भी मानते थे कि मुंडे साहब आगे जाकर महाराष्ट्र के सीएम भी हो सकते थे।
मुंडे साहब का जन्म 12 दिसंबर को 1949 को हुआ था। महाराष्ट्र की राजनिति में बड़े कद के इस नेता ने पांच बार विधानसभा का प्रतिनिधित्व किया था। इस दौरान वह महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष के नेता भी बने। इन कार्यकालों में मनोहर जोशी की सरकार में उप मुख्यमंत्री भी रहे। अपनी चीजों को संजोना और संवारना कोई मुंडे साहब से सीखे। उन्होंने बखूबी अपने को तराशा और आगे बढ़ते रहे। प्रमोद महाजन के निधन के बाद शून्य को भरने के लिए मुंडे साहब ने केंद्र की राजनीति में प्रवेश किया। जहां वह पहली बार बीड संसदीय सीट से सांसद बने। उनको बीड की जनता ने सिर आंखों पर बिठाकर लोकसभा जाने का रास्ता दिया। उसके बाद मोदी जी ने उनकी उपयोगिता को समझते हुए केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जैसा महत्वपूर्ण पद दिया।
दरअसल, महाराष्ट्र की राजनिति में तीन लोग बड़ी शिद्दत से याद किए जाएंगे... वह हैं- प्रमोद महाजन, विलास राव देशमुख और मुंडे साहब। इन्होंने भीड़ से हटकर अपनी एक पहचान बनाई। देखा जाए तो मुंडे साहब का जाना... सिर्फ एक परिवार, एक लोक सभा सीट और एक राज्य का नहीं, यह नुकसान पूरे देश का है जिसे भरने में काफी समय लगेगा।