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Monday, 28 July 2014

प्रधानमंत्री से फिर पूर्वांचल बनाने की मांग उठाई

आंध्र प्रदेश का विभाजन कर तेलंगाना राज्य बनाने की मांग पूरी होने के बाद पृथक पूर्वांचल की मांग भी जोर पकड़ने लगी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलकर पूर्वांचल विकास मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अजीत कुमार पाण्डेय ने पूर्वी उत्तर प्रदेश की सात करोड़ जनता के लिए अलग पूर्वाचल राज्य की मांग उठाई है।

पाण्डेय ने कहा, नेपाल से सटे होने के नाते के राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से इसकी संवेदनशीलता और प्रदेश के अन्य क्षेत्रों की तुलना में विकास के हर पैमाने पर पिछड़ेपन के मद्देनजर इस क्षेत्र को अलग राज्य का दर्जा मिले है। लंबे समय से क्षेत्र की जनता की इस मांग के पीछे की भावना का केंद्र सम्मान करे।
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पाण्डेय का तर्क था कि आबादी के लिहाज से देश के सघनतम आबाद ये क्षेत्र आजादी के बाद से ही घोर उपेक्षित है। इतनी बड़ी आबादी के लिए एक अदद केंद्रीय विश्वविद्यालय, केंद्रीय चिकित्सा, प्रोद्यौगिकी और प्रबंधन संस्थान का न होना इसका सबूत है। उद्योगों के लिहाज से भी यह क्षेत्र शून्य है। सार्वजनिक क्षेत्र की एक मात्र इकाई खाद कारखाने को बंद हुए दो दशक से अधिक हो गए। इसके बाद से पूरे क्षेत्र में सार्वजनिक या निजी क्षेत्र की एक भी बड़ी इकाई नहीं लगी। कभी गन्ना यहां की नकदी फसल थी और चीनी उद्योग पहचान, पर सरकारी उपेक्षा के नाते मिलें एक-एक कर बंद होती गई।

सीमावर्ती क्षेत्र होने के नाते यह इलाका राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से भी बेहद संवेदनशील है। ऐसे में जिस तरह उत्तराखंड, झारखंड, छत्तीसगढ़ राज्य का गठन हुआ और जिस तरह हाल में केंद्रीय कैबिनेट ने तेलंगाना के गठन की सहमति दी उसी तरह अलग पूर्वाचल राज्य के गठन की भी सहमति दे।

रस्तावित पूर्वांचल राज्य में सोनपुर और इलाहाबाद मंडल से लेकर बस्ती मंडल तक कुल 27 जिले, 149 विधानसभा सीटें और 29 लोकसभा की सीटें होंगी। इसकी राजधानी वाराणसी होगी। पूर्वांचल की आठ करोड़ की आबादी में 20 लाख से अधिक शिक्षित बेरोजगार हैं।

Saturday, 12 July 2014

बेहतर आर्थिक प्रबंधन का उदाहरण है यह बजट

पूर्वांचल विकास मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अजीत कुमार पाण्डेय ने बजट को बेहतर आर्थिक प्रबंधन का उदाहरण बताया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी महँगाई कम करने के प्रयास कर रहे हैं। यह बजट उसी दिशा में एक अच्छा और सार्थक कदम है।

पाण्डेय ने ने कहा कि वर्तमान परिस्थिति में यह अद्भुत बजट है इसमें कोई नया कर नहीं लगाया गया है। बल्कि करों के बोझ को कम किया गया है। कृषि उपकरण जैसी कई जनोपयोगी वस्तुओं पर से कर कम किया गया है। इससे यह वस्तुएँ सस्ती होंगी।

बजट में कृषि, सिंचाई, अधोसंरचना विकास, ग्रामीण विकास, विद्युत, पेयजल आदि सभी क्षेत्रों के लिये पर्याप्त आवंटन किया गया है। नर्मदा-क्षिप्रा लिंक परियोजना लागू करने के बाद अब नर्मदा-गंभीर परियोजना के लिये इस बजट में प्रावधान किया गया है।

बजट में शिक्षा, स्वास्थ्य, महिला सशक्तिकरण को ध्यान में रखते हुए समुचित व्यवस्था की गई है। इसमें निवेशकों को आकर्षित करने तथा गरीबों को रोजगार देने के कार्यक्रमों को शामिल किया गया है। अत्यंत आवश्यक वस्तुओं पर से करों को कम कर राहत देने का काम किया गया है। यह बजट समाज के हर वर्ग की बेहतरी का प्रयास है।

Wednesday, 9 July 2014

अमित शाह बने बीजेपी के शहंशाह

राजधानी दिल्ली के 11 अशोका रोड स्थित बीजेपी मुख्यालय में अमित शाह को भारतीय जनता पार्टी का नया अध्यक्ष चुना गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शाह को मिठाई खिलाकर बधाई दी. 2014 के लोकसभा चुनाव में यूपी प्रभारी रहे अमित शाह को अध्यक्ष पद मिलना उनकी सफलता की कहानी कह रहा है. आइए नजर डालते हैं मुंबई में 22 अक्‍टूबर 1994 को जन्‍मे अमित अनिलचंद्र शाह के जीवन से जुड़े उस हर पहलू पर जो आपके लिए जानना जरूरी है.

रईस परिवार से ताल्‍लुक रखते हैं शाह
1.
मोदी के ठीक उलट अमित शाह गुजरात के एक रईस परिवार से ताल्लुक रखते थे.
2.
मनसा में प्लास्टिक के पाइप का पारिवारिक बिजनेस संभालते थे.
3. मेहसाणा में शुरुआती पढ़ाई के बाद बॉयोकेमिस्ट्री की पढ़ाई के लिए अहमदाबाद आए.
4.
अमित शाह ने बॉयोकेमिस्ट्री में बीएससी की, इसके बाद पिता का बिजनेस संभालने में जुट गए.
5. बचपन से ही शाह का संबंध आरएसएस के साथ रहा, कॉलेज के दिनों में वह आरएसएस के स्वयंसेवक बने.
6. 1982 में नरेंद्र मोदी से उनकी पहली मुलाकात हुई.
7. 1983 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े और इस तरह उनका राजनीतिक करियर शुरू हुआ.
8. मोदी से एक साल पहले उन्होंने 1986 में बीजेपी ज्वाइन किया.
9. 1987 में अमित शाह भारतीय जनता युवा मोर्चा के सदस्य बने.
10. 1999 में अहमदाबाद डिस्ट्रिक्ट कोऑपरेटिव बैंक (एडीसीबी) के प्रेसिडेंट चुने गए.
11. 1997 में मोदी ने सरखेज के उपचुनाव में अमित शाह को उतारने की सलाह दी.
12. फरवरी 1997 में उपचुनाव जीतकर शाह विधायक बने.
13. 1998 के चुनाव में उन्होंने चुनाव जीतकर अपनी सीट बरकरार रखी.
14. 1997 से 2012 तक वे सरखेज से विधायक रहे.
15. 2009 में गुजरात क्रिकेट एसोसिएशन के वाइस प्रेसिडेंट बने.
16. 2013 में नरनपुरा से विधायक चुने गए.
17. 2014 में मोदी के पद छोड़ने के बाद GCA के प्रेसिडेंट बने.
18. 2003 से 2010 तक गुजरात सरकार की कैबिनेट में गृहमंत्रालय का जिम्मा संभाला.
19. शाह को पहला बड़ा राजनीतिक मौका मिला 1991 में, जब आडवाणी के लिए गांधीनगर संसदीय क्षेत्र में उन्होंने चुनाव प्रचार का जिम्मा संभाला.
20. इसी तरह का मौका 1996 में भी अमित शाह के पास आया. जब अटल बिहारी वाजपेयी ने गुजरात से चुनाव लड़ना तय किया. मोदी के कहने पर उस चुनाव की पूरी जिम्मेदारी फिर से अमित शाह को ही सौंपी गई. उस समय वाजपेयी पूरे देश में पार्टी का प्रचार कर रहे थे. उन्होंने अपने क्षेत्र में न के बराबर समय दिया. पूरा दारोमदार अमित शाह ने अपने कंधे पर उठाया.
21. 2002 में नरेंद्र मोदी की सरकार बनी में सबसे कम उम्र के अमित शाह को गृह (राज्य) मंत्री बनाया गया.
22. अभी तक अमित शाह ने कुल 42 छोटे-बड़े चुनाव लड़े लेकिन उनमें से एक में उन्होंने हार का सामना नहीं किया.
23. सोहराबुद्दीन शेख की फर्जी मुठभेड़ के मामले में अमित शाह को 2010 में गिरफ्तारी का सामना करना पड़ा. शाह पर आरोपों का सबसे बड़ा हमला खुद उनके बेहद खास रहे गुजरात पुलिस के निलंबित अधिकारी डीजी बंजारा ने किया.
24. 2014 लोकसभा चुनाव में यूपी में बीजेपी प्रभारी रहे, जिसमें उन्‍होंने पार्टी को शानदार सफलता दिलवाई.
25. 9 जुलाई 2014 को बीजेपी के अध्यक्ष चुने गए.