आंध्र प्रदेश का विभाजन कर तेलंगाना राज्य बनाने की मांग पूरी होने के बाद पृथक पूर्वांचल की मांग भी जोर पकड़ने लगी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलकर पूर्वांचल विकास मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अजीत कुमार पाण्डेय ने पूर्वी उत्तर प्रदेश की सात करोड़ जनता के लिए अलग पूर्वाचल राज्य की मांग उठाई है।
पाण्डेय ने कहा, नेपाल से सटे होने के नाते के राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से इसकी संवेदनशीलता और प्रदेश के अन्य क्षेत्रों की तुलना में विकास के हर पैमाने पर पिछड़ेपन के मद्देनजर इस क्षेत्र को अलग राज्य का दर्जा मिले है। लंबे समय से क्षेत्र की जनता की इस मांग के पीछे की भावना का केंद्र सम्मान करे।
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पाण्डेय ने कहा, नेपाल से सटे होने के नाते के राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से इसकी संवेदनशीलता और प्रदेश के अन्य क्षेत्रों की तुलना में विकास के हर पैमाने पर पिछड़ेपन के मद्देनजर इस क्षेत्र को अलग राज्य का दर्जा मिले है। लंबे समय से क्षेत्र की जनता की इस मांग के पीछे की भावना का केंद्र सम्मान करे।
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पाण्डेय का तर्क था कि आबादी के लिहाज से देश के सघनतम आबाद ये क्षेत्र आजादी के बाद से ही घोर उपेक्षित है। इतनी बड़ी आबादी के लिए एक अदद केंद्रीय विश्वविद्यालय, केंद्रीय चिकित्सा, प्रोद्यौगिकी और प्रबंधन संस्थान का न होना इसका सबूत है। उद्योगों के लिहाज से भी यह क्षेत्र शून्य है। सार्वजनिक क्षेत्र की एक मात्र इकाई खाद कारखाने को बंद हुए दो दशक से अधिक हो गए। इसके बाद से पूरे क्षेत्र में सार्वजनिक या निजी क्षेत्र की एक भी बड़ी इकाई नहीं लगी। कभी गन्ना यहां की नकदी फसल थी और चीनी उद्योग पहचान, पर सरकारी उपेक्षा के नाते मिलें एक-एक कर बंद होती गई।
सीमावर्ती क्षेत्र होने के नाते यह इलाका राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से भी बेहद संवेदनशील है। ऐसे में जिस तरह उत्तराखंड, झारखंड, छत्तीसगढ़ राज्य का गठन हुआ और जिस तरह हाल में केंद्रीय कैबिनेट ने तेलंगाना के गठन की सहमति दी उसी तरह अलग पूर्वाचल राज्य के गठन की भी सहमति दे।
रस्तावित पूर्वांचल राज्य में सोनपुर और इलाहाबाद मंडल से लेकर बस्ती मंडल तक कुल 27 जिले, 149 विधानसभा सीटें और 29 लोकसभा की सीटें होंगी। इसकी राजधानी वाराणसी होगी। पूर्वांचल की आठ करोड़ की आबादी में 20 लाख से अधिक शिक्षित बेरोजगार हैं।