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Monday, 3 February 2020

बजट 2020 से पूर्वांचल को बहुत उम्मीद थी लेकिन अफसोस ये संभव नहीं हो सका

वित्त मंत्री द्वारा शनिवार को बजट लोकसभा में परंपरागत तरीके से पेश किया गया। लेकिन बजट में पूर्वांचल को कोई खास तरजीह नही मिली है।  किसानों से लेकर आम लोगों तक के लिए बजट में ऐसी कोई घोषणा नही हुई जिससे उन्हें फ़ायदा मिले।


सामाजिक कार्यकर्ता और पूर्वांचली नेता अजीत कुमार पाण्डेय ने इसे पूर्वांचल  के साथ भेदभाव वाला बजट बताते हुए कहा कि यह बजट पूर्वांचल के विकास और पूर्वांचल को आगे ले जाने की दिशा में एक बड़ा कदम भी साबित हो सकता था लेकिन अफसोस ये संभव नहीं हो सका।


हालांकि आयकर में मिलने वाली छूट से जनता को राहत मिलेगी और कारो‍बारियों को भी कई मामलों में राहत के साथ पूर्वांचल से विमान और ट्रेन से माल ढुलाई की संभावनाओं को देखते हुए पूर्वांचल की सब्जियों का निर्यात भी होगा। लेकिन फिर भी बजट 2020 से पूर्वांचल को बहुत उम्मीद थी।


अजीत कुमार पाण्डेय के अनुसार रेल बजट भी पूर्वांचल के लिए उदास करने वाला रहा। रेल बजट मेँ पूर्वांचल के यात्रियों के लिए कोई उपहार नहीं मिल सका है। वाराणसी- गाजीपुर वाया छपरा रेल मार्ग पर कोई नयी ट्रेन नहीं मिली। रेल किराया से लेकर अन्य सुविधाओं में कोई छूट नहीं मिला है।


Tuesday, 3 December 2019

भारत में बेरोजगारों की बढ़ती तादाद पर पीएम मोदी को खत


श्री नरेंद्र मोदी जी,  माननीय प्रधानमंत्री


आपकी सरकार ने अभी तक कोई भी ठोस कदम नहीं उठाया जिससे देश के युवा हतोत्साहित हो रहे है जिससे देश के ख़ास तौर पर पूर्वी उत्तर प्रदेश एवं बिहार के युवा रोजगार के लिए भटक रहे है परन्तु आपकी सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया। इसको आप शिकायत और सुझाव न समझे, आप इसका यथोचित जवाब दें।


श्रीमान, आपको संज्ञान दिलाना चाहता हूँ की आपकी सरकार ने अभूतपूर्व कार्य किये परन्तु बेरोजगारी के मुद्दे पर कोई कार्य नहीं किया। आज के समय देश में बेरोजगारों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है ख़ास तौर पर पूर्वी उत्तर प्रदेश एवं बिहार में जहां के युवा सिर्फ नौकरी पर निर्भर है और इसी के भरोसे इनके परिवार का जीवन का पालन पोषण होता है परन्तु आज के समय में यह युवा नौकरी के दर - दर भटक रहे है।

 क्या देश में खली पड़ी सरकारी संस्थाओ की रिक्तियां क्यों नहीं भरी जा रही है जिससे देश के युवाओ को रोजगार मिल सके और देश के युवा अपने परिवार का पालन पोषण कर सके प्रत्येक युवा के पीछे कम से कम छः लोग आश्रित होते है परन्तु ये शिक्षित युवा आपकी सरकार की नीतियों के चलते रोजगार के लिए पढ़ लिखकर दर- दर भटक रहे है परन्तु ना तो केंद्र सरकार और ना ही राज्य सरकार  रोजगार के मेल में कोई अपना रुख साफ़ कर रही है।


महोदय आप निजीकरण को बढ़ावा दे रहे है परन्तु इससे देश के बेरोजगारों की समस्या का समाधान नहीं हो रहा है जिससे देश के  पढ़े लिखे युवा ख़ास तौर पर पूरी उत्तर प्रदेश और बिहार तरस रहे है परन्तु आपकी सरकार ने विगत पांच बर्षो से बेरोजगारों के ऊपर अपने कोई ध्यान नहीं दिया।
महोदय चाय और पकोड़ा बेचना कोई रोजगार नहीं होता और जहां स्वाभिमान की बात है तो चाय और पकोड़े बेचने के लिए उच्च शिक्षा की कोई आवश्यकता नहीं है।


महोदय आपको संज्ञान दिला रहा हूँ की लोकसभा के संसद या विधानसभा के  सदस्य कोई उच्च शिक्षा प्राप्त करके नहीं आते है और उन पढ़े लिखे बेरोजगारों को वोट के लिए प्रयोग करते है और चुनाव जीतने के बाद उन बेरोजगारों को भूल जाते है क्योंकि उनको तो रोजगार मिल गया और वो नेता समझते है की भारत के सभी बेरोजगारों को रोजगार मिल गया।


बेरोजगारी की समस्या को गंभीरता से संज्ञान में लेकर यथाशीघ्र बेरोजगारों के लिए यथोचित रोजगार का साधन कराया जाये नहीं तो भारत में भुखमरी की स्थिति पैदा हो रही है रही बात चाय बेचने बालो की तो हर एक चाय बेचने बाला प्रधानम्नत्री नहीं बन सकता है क्योंकि एक भारत का स्नातक शिक्षित मेघावी छात्र रोजगार के लिए दर -  दर भटक रहा है इसका समाधान यथाशीघ्र करे एवं इसका प्रतिउत्तर लिखित रूप में उपलब्ध कराएं  

Monday, 5 August 2019

जो कोई ना कर सका वो हमने कर दिखाया है. कश्मीर में भी अपना तिरंगा लहराया है

मोदी सरकार और बीजेपी ने अपने चुनावी घोषणा पत्र के सबसे अहम वादे को पूरा करते हुए जम्मू-कश्मीर से धारा 370 को हटाने का ऐतिहासिक फैसला कर लिया.

अनुच्छेद 370 को हटाने वाले केंद्र सरकार के फैसले का हम स्वागत करते हैं, देश की एकजुटता को मजबूत करने की ओर ये ऐतिहासिक फैसला है.

 'जो कोई ना कर सका वो हमने कर दिखाया है. कश्मीर में भी अपना तिरंगा लहराया है.'


जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले धारा 370 को हटाकर मोदी सरकार ने तमाम अटकलों, अफवाहों और कयासों पर विराम लगा दिया.

इस ऐतिहासिक फैसले में जम्मू-कश्मीर को दो भागों में भी बांटने का फैसला लिया गया है. जम्मू-कश्मीर के साथ ही लद्दाख भी अब क्रेंद्र शासित प्रदेश होगा.

कश्मीर से घारा 370 को हटाने के लिए सोमवार को गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में एक संकल्प पेश किया. इस संकल्प में उन्होंने कहा कि संविधान के अनुच्छेद-370 के सभी खंड जम्मू-कश्मीर में नहीं लागू होंगे.

इस प्रदेश की अपनी विधायिका होगी, जबकि लद्दाख अब जम्मू-कश्मीर से अलग एक केंद्र शासित प्रदेश होगा. लद्दाख में विधानसभा नहीं होगी. इस ऐतिहासिक फैसले पर तमाम दिग्गज हस्तियों ने अपने विचार सोशल मीडिया पर शेयर किए हैं.

Thursday, 30 May 2019

PM नरेंद्र मोदी जी को उनके द्वितीय कार्यकाल कोटि कोटि बधाई



भारत के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी को उनके द्वितीय कार्यकाल के लिए शपथ ग्रहण करने पर हमारी कोटि कोटि बधाई 🙏।


हम आपके एक और सफल कार्यकाल की कामना करते हैं साथ ही आशा करते हैं कि आपके यशस्वी नेतृत्व में भारत निरंतर नई उचाइओं को छुएं। 

Sunday, 6 January 2019

भारत के हिन्दुओं को गहरा आघात पहुंचाया जा रहा है, क्यों?

श्री नरेंद्र मोदी जी 
माननीय प्रधानमंत्री

विषय - हिन्दू के आराध्य भगवान श्री राम जो आज टेंट में हैं और हिन्दुओ के सांसद एवं मंत्री महलों में क्यों रह रहे है? क्यों नहीं हिन्दू सांसद एवं मंत्री जब तक भगवान श्री राम के मंदिर का निर्माण न हो तब तक स्वम टेंट में क्यों नहीं रहते। भगवान श्री राम की तरह इसको गंभीरता से संज्ञान में लेकर जवाब एवं कार्यवाही की जाए। 

महोदय, 

 जब तक हिंदूओं के आराध्य भगवान श्री राम के मंदिर का निर्माण नही हो रहा है तब तक भारत की संसद भवन के बजाय इंडिया गेट पर चलाई जाये। माननीय सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायधीश महोदय भगवान श्री राम के मामले की सुनवाई टेंट के अंदर बैठकर करें क्योंकि कलयुग में भगवान से ऊपर संविधान हो गया है।

हिन्दू सांसदों को शर्म तक नहीं आ रही है की आज भगवान विष्णु के अवतार श्री राम टेंट बिराजमान है और भगवान के नाम पर राजनीति और भगवान श्री राम के आगे संबिधान बड़ा हो गया है जो आज भगवान के खिलाफ ही कोर्ट में मुक़दमे चल रहे है जो खुद न्यायधीश हैं।


 उनके ऊपर कैसा और कौन सा मुकदमा और कौन सा न्यायधीश एवं भारत के हिन्दू सांसदों, मंत्रियो , न्यायधीशों को क्या ज्ञात नहीं है की भगवान श्री राम जी का जन्म अयोध्या में हुआ था रही बात वकीलों की तो ये लोग भगवान क्या अपनी माँ तक पर मुकदमा चला सकते है।

देश के आराध्य भगवान श्री राम जिसके लिए न्यायालय भी भगवान के संविधान से ऊपर हो गया है जो प्रत्येक दिन तारीख पर तारीख दे रहा है। जिससे देश की आर्थिक क्षति भी हो रही है और हिन्दुओं की धार्मिक मर्यादा को ठेस पहुंच रहा है। सांसद में बैठे सभी पार्टियों के हिंदू सांसद केवल वोट की राजनीती कर रहे है।

भगवान श्री राम के नाम पर कम से कम राजनीति न करे और भारत जैसे हिन्दू प्रधान देश के हिन्दुओ के आराध्य को कोई भी पार्टी हिन्दू सांसद जो लोकसभा में बैठकर कानून बनाते यही और कुछ हिन्दू सांसद कानून  का बिरोध करते है आखिर क्यों?

महोदय जब हिन्दू धरती पर जन्म लेता है तब से मृत्यु तक श्री राम का ही नाम लेता है और इंसान की जब जीवन की अंतिम यात्रा होती है तो हिन्दू धर्म में व्यक्ति का नाम न लेकर के श्री राम नाम सत्य है का उच्चारण करते हुए व्यक्ति के शव शमशान तक ले जाया जाता है यह परम्परा सत्युग,त्रेता युग , कृष्णावतार के युग  और आज कलयुग में भी यही परंपरा है परन्तु माननीय सुप्रीम कोर्ट में बैठे माननीय न्याधीश एवं लोकसभा में बैठे हिदुओ के सांसदों शर्म तक भी नहीं आती की अपनी राजनीती के लिए अपने धर्म को खो बैठे है। 

महोदय आप गंभीरता से संज्ञान में लेकर सभी सांसदों एवं स्वम जो हिन्दू सांसद है चाहे वो किसी भी पार्टी को हो जब तक भगवान श्री राम के मंदिर की स्थापना नहीं होती तब तक सभी हिन्दू सांसद एवं मंत्री एवं स्वम आप भी टेंट में रहे ताकि हिन्दू के मर्यादा और उनके आराध्य श्री राम के ऊपर जो न्यायलय बैठा है क्या भगवान के ऊपर भी कोई न्यायलय और संबिधान होते है ?


नोट :- माननीय प्रधानमंत्री जी अपने विशेष अधिकार का उपयोग करते हुए सभी पार्टियों के हिन्दू सांसदों को निर्देश दे की राम मंदिर पर राजनीति न करे और भगवान श्री राम पर मुकदमा में चलाया जा सके ऐसा दुनिया में कौन सा न्यायालय है। आप एवं सभी पार्टियों के हिन्दू सदस्यों को प्रतिज्ञा दिलाये की जंतर मंतर के धरना स्थल पर अपने आवास को छोड़ कर टेंट लगा कर रहे और आप कब तक राम मंदिर निर्माण होगा इसका जवाब लिखित रूप में अतिशीघ्र दे क्यूकी कोर्ट के फैसले तो आते ही रहेंगे और भगवान ने कौनसा ऐसा गुनाह कर दिया है जो उनकी जन्म भूमि पर उनके भवन को बनाने के लिए भी कोर्ट के फैसले का इंतज़ार किया जा रहे है।

आखिर क्यों ? क्या भारत के हिन्दू सांसद धर्म परिवर्तन कर चुके है  जो हिन्दुओ के आराध्य भगवान श्री राम जी के मंदिर निर्माण पर राजनीति करके मजाक बना रहे है और भारत के हिन्दुओं को गहरा आघात पहुंचाया जा रहे है आखिर क्यों ?







Monday, 17 September 2018

आप दीर्घायु हों और ऐसे ही देश की सेवा करते रहें


राष्ट्र आज मना रहा है उस व्यक्तित्व का जन्मदिवस जिन्होंने बेहद कम समय में भारत की राजनीति की दिशा और दशा को ऐसा बदला जो शायद किसी चमत्कार से कम नहीं है . एक लम्बे समय से चले आ रहे सत्ता के एकाधिकार को खत्म करने वाले और समाज के हर वर्ग में अपनेपन की भावना जगाने वाले , सच्चे बलिदानियों को संसद में याद करने वाले भारत के यशश्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का आज जन्म दिवस है


श्री मोदी का पूरा नाम नरेन्द्र दामोदरदास मोदी है इनका जन्म 17 सितम्बर 1950 को जन्मस्थान वडनगर, जि. मेहसाना (गुजरात) में हुआ था। इनके पिता का नाम श्री दामोदरदास मूलचंद मोदी एवं माता का नाम हीराबेन मोदी है। नरेन्द्र मोदी भारत के ऐसे प्रधानमंत्री हैं जिनको आज भारत का बच्चा बच्चा भारत को बदल रहे एक युगपुरुष के रूप में जनता है।

मैं माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को जन्मदिन की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं देता हूं। उनके स्वस्थ जीवन एवं दीर्घ आयु की कामना करता हूं। मोदी जी आप दीर्घायु हों और ऐसे ही देश की सेवा करते रहें, यही हर भारतवासी की कामना है।

Friday, 17 August 2018

अटल जी को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं, उन्हें नमन करता हूं: अजीत

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन पर पूरे देश में शोक का माहौल है। सचमुच यह एक बड़ा नुकसान है हमारे देश के लिए... क्योंकि हम अटल जी को अपनी आखिरी सलामी दे रहे हैं। वह मेरे दिल के बहुत करीब थे और उनकी विरासत को हमेशा याद किया जाएगा। मैं अजीत पाण्डेय दिल से शोक व्यक्त करता हूं।

अटल जी के इस दुनिया से विदा हो जाने से हर कोई दुखी है। इसका असर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर पड़ा है। उन्होंने कहा कि मैं नि:शब्द हूं, शून्य में हूं, लेकिन भावनाओं का ज्वार उमड़ रहा है। हम सभी के श्रद्धेय अटल जी हमारे बीच नहीं रहे। अपने जीवन का प्रत्येक पल उन्होंने राष्ट्र को समर्पित कर दिया था। उनका जाना, एक युग का अंत है। इसके अलावा उन्होंने ब्लॉग लिख कर अपना दुख व्यक्त किया।

मेरे अटल जी
अटल जी अब नहीं रहे। मन नहीं मानता। अटल जी, मेरी आंखों के सामने हैं, स्थिर हैं। जो हाथ मेरी पीठ पर धौल जमाते थे, जो स्नेह से, मुस्कराते हुए मुझे अंकवार में भर लेते थे, वे स्थिर हैं। अटल जी की ये स्थिरता मुझे झकझोर रही है, अस्थिर कर रही है। एक जलन सी है आंखों में, कुछ कहना है, बहुत कुछ कहना है लेकिन कह नहीं पा रहा। मैं खुद को बार-बार यकीन दिला रहा हूं कि अटल जी अब नहीं हैं, लेकिन ये विचार आते ही खुद को इस विचार से दूर कर रहा हूं। क्या अटल जी वाकई नहीं हैं? नहीं। मैं उनकी आवाज अपने भीतर गूंजते हुए महसूस कर रहा हूं, कैसे कह दूं, कैसे मान लूं, वे अब नहीं हैं। 
वे पंचतत्व हैं। वे आकाश, पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, सबमें व्याप्त हैं, वे अटल हैं, वे अब भी हैं। जब उनसे पहली बार मिला था, उसकी स्मृति ऐसी है जैसे कल की ही बात हो। इतने बड़े नेता, इतने बड़े विद्वान। लगता था जैसे शीशे के उस पार की दुनिया से निकलकर कोई सामने आ गया है। जिसका इतना नाम सुना था, जिसको इतना पढ़ा था, जिससे बिना मिले, इतना कुछ सीखा था, वो मेरे सामने था। जब पहली बार उनके मुंह से मेरा नाम निकला तो लगा, पाने के लिए बस इतना ही बहुत है। बहुत दिनों तक मेरा नाम लेती हुई उनकी वह आवाज मेरे कानों से टकराती रही। मैं कैसे मान लूं कि वह आवाज अब चली गई है।
कभी सोचा नहीं था, कि अटल जी के बारे में ऐसा लिखने के लिए कलम उठानी पड़ेगी। देश और दुनिया अटल जी को एक स्टेट्समैन, धारा प्रवाह वक्ता, संवेदनशील कवि, विचारवान लेखक, धारदार पत्रकार और विजनरी जननेता के तौर पर जानती है। लेकिन मेरे लिए उनका स्थान इससे भी ऊपर का था। सिर्फ इसलिए नहीं कि मुझे उनके साथ बरसों तक काम करने का अवसर मिला, बल्कि मेरे जीवन, मेरी सोच, मेरे आदर्शों-मूल्यों पर जो छाप उन्होंने छोड़ी, जो विश्वास उन्होंने मुझ पर किया, उसने मुझे गढ़ा है, हर स्थिति में अटल रहना सिखाया है। हमारे देश में अनेक ऋषि, मुनि, संत आत्माओं ने जन्म लिया है। देश की आज़ादी से लेकर आज तक की विकास यात्रा के लिए भी असं य लोगों ने अपना जीवन समर्पित किया है। लेकिन स्वतंत्रता के बाद लोकतंत्र की रक्षा और 21वीं सदी के सशक्त, सुरक्षित भारत के लिए अटल जी ने जो किया, वह अभूतपूर्व है। उनके लिए राष्ट्र सर्वोपरि था- बाकी सब का कोई महत्व नहीं। इंडिया फस्र्ट - भारत प्रथम, ये मंत्र वाक्य उनका जीवन ध्येय था। पोखरण देश के लिए जरूरी था तो चिंता नहीं की प्रतिबंधों और आलोचनाओं की, क्योंकि देश प्रथम था। सुपर कंप्यूटर नहीं मिले, क्रायोजेनिक इंजन नहीं मिले तो परवाह नहीं, हम खुद बनाएंगे, हम खुद अपने दम पर अपनी प्रतिभा और वैज्ञानिक कुशलता के बल पर असंभव दिखने वाले कार्य संभव कर दिखाएंगे। और ऐसा किया भी।दुनिया को चकित किया। सिर्फ एक ताकत उनके भीतर काम करती थी- देश प्रथम की जिद।   

काल के कपाल पर लिखने और मिटाने की ताकत, हिम्मत और चुनौतियों के बादलों में विजय का सूरज उगाने का चमत्कार उनके सीने में था तो इसलिए क्योंकि वह सीना देश प्रथम के लिए धड़कता था। इसलिए हार और जीत उनके मन पर असर नहीं करती थी। सरकार बनी तो भी, सरकार एक वोट से गिरा दी गयी तो भी, उनके स्वरों में पराजय को भी विजय के ऐसे गगन भेदी विश्वास में बदलने की ताकत थी कि जीतने वाला ही हार मान बैठे। अटल जी कभी लीक पर नहीं चले। उन्होंने सामाजिक और राजनीतिक जीवन में नए रास्ते बनाए और तय किए। “आंधियों में भी दीये जलाने” की क्षमता उनमें थी। पूरी बेबाकी से वे जो कुछ भी बोलते थे, सीधा जनमानस के हृदय में उतर जाता था। अपनी बात को कैसे रखना है, कितना कहना है और कितना अनकहा छोड़ देना है, इसमें उन्हें महारत हासिल थी। राष्ट्र की जो उन्होंने सेवा की, विश्व में मां भारती के मान सम्मान को उन्होंने जो बुलंदी दी, इसके लिए उन्हें अनेक सम्मान भी मिले। देशवासियों ने उन्हें भारत रत्न देकर अपना मान भी बढ़ाया। लेकिन वे किसी भी विशेषण, किसी भी सम्मान से ऊपर थे।
जीवन कैसे जीया जाए, राष्ट्र के काम कैसे आया जाए, यह उन्होंने अपने जीवन से दूसरों को सिखाया। वे कहते थे, “हम केवल अपने लिए ना जीएं, औरों के लिए भी जीएं...हम राष्ट्र के लिए अधिकाधिक त्याग करें। अगर भारत की दशा दयनीय है तो दुनिया में हमारा सम्मान नहीं हो सकता। किंतु यदि हम सभी दृष्टियों से सुसंपन्न हैं तो दुनिया हमारा सम्मान करेगी” देश के गरीब, वंचित, शोषित के जीवन स्तर को ऊपर उठाने के लिए वे जीवनभर प्रयास करते रहे। वेकहते थे “गरीबी, दरिद्रता गरिमा का विषय नहीं है, बल्कि यह विवशता है, मजबूरी हैऔर विवशता का नाम संतोष नहीं हो सकता”। करोड़ों देशवासियों को इस विवशता से बाहर निकालने के लिए उन्होंने हर संभव प्रयास किए। गरीब को अधिकार दिलाने के लिए देश में आधार जैसी व्यवस्था, प्रक्रियाओं का ज्यादा से ज्यादा सरलीकरण, हर गांव तक सड़क, स्वर्णिम चतुर्भुज, देश में विश्व स्तरीय इंफ्रास्ट्रक्चर, राष्ट्र निर्माण के उनके संकल्पों से जुड़ा था।
आज भारत जिस टेक्नोलॉजी के शिखर पर खड़ा है उसकी आधारशिला अटल जी ने ही रखी थी। वे अपने समय से बहुत दूर तक देख सकते थे - स्वप्न दृष्टा थे लेकिन कर्म वीर भी थे।कवि हृदय, भावुक मन के थे तो पराक्रमी सैनिक मन वाले भी थे। उन्होंने विदेश की यात्राएं कीं। जहाँ-जहाँ भी गए, स्थाई मित्र बनाये और भारत के हितों की स्थाई आधारशिला रखते गए। वे भारत की विजय और विकास के स्वर थे। अटल जी का प्रखर राष्ट्रवाद और राष्ट्र के लिए समर्पण करोड़ों देशवासियों को हमेशा से प्रेरित करता रहा है। राष्ट्रवाद उनके लिए सिर्फ एक नारा नहीं था बल्कि जीवन शैली थी। वे देश को सिर्फ एक भूखंड, ज़मीन का टुकड़ा भर नहीं मानते थे, बल्कि एक जीवंत, संवेदनशील इकाई के रूप में देखते थे। “भारत जमीन का टुकड़ा नहीं, जीता जागता राष्ट्रपुरुष है।”यह सिर्फ भाव नहीं, बल्कि उनका संकल्प था, जिसके लिए उन्होंने अपना जीवन न्योछावर कर दिया। दशकों का सार्वजनिक जीवन उन्होंने अपनी इसी सोच को जीने में, धरातल पर उतारने में लगा दिया। आपातकाल ने हमारे लोकतंत्र पर जो दाग लगाया था उसको मिटाने के लिए अटल जी के प्रयास को देश हमेशा याद रखेगा।
अपने पुरुषार्थ को, अपनी कर्तव्यनिष्ठा को राष्ट्र के लिए समर्पित करना उनके व्यक्तित्व की महानता को प्रतिबिंबित करता है। यही सवा सौ करोड़ देशवासियों के लिए उनका सबसे बड़ा और प्रखर संदेश है। देश के साधनों, संसाधनों पर पूरा भरोसा करते हुए, हमें अब अटल जी के सपनों को पूरा करना है, उनके सपनों का भारत बनाना है। नए भारत का यही संकल्प, यही भावलिए मैं अपनी तरफ से और सवा सौ करोड़ देशवासियों की तरफ से अटल जी को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं, उन्हें नमन करता हूं।